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लीक

लीक यूरोपियन देशों की एक प्रमुख फसल है। हमारे देश में अभी तक यह गृहवाटिका तक ही सीमित है। लीक प्याज प्रजाति की ही फसल है। लेकिन इसमें गाँठें नहीं बनती हैं। इसका तना सफेद व पत्ते हरे होते हैं। इसका प्रयोग सलाद, सूप व सब्जी के रूप में पकाकर भी किया जाता है इसकी अच्छी उपज मध्यवर्ती व ऊंचाई वाले इलाकों में सम्भव है।

किस्में:

पालक पौष्टिक : सभी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म, गहरे रंग चैड़े पत्ते, लम्बा सफेद तना (तुड़ान पर 3-4 सैं. मी. व्यास) 140-150 दिन में तैयार, औसत पैदावार 300-350 क्विटल प्रति हैक्टेयर (24-28 क्ंिवटल प्रति बीघा) है ।

अन्य किस्में:

प्राईज टेकर, मसल वर्ग

निवेश सामग्री:

  प्रति हैक्टैयर प्रति बीघा प्रति कनाल
बीज (ग्रा.) 1.5 120(ग्रा.) 60(ग्रा.)
गोबर की खाद (क्विंटल ) 250 20 10
विधि -1
यूरिया ( किलो ग्राम) 300 25 12.5
सुपरफास्फेट ( किलो ग्राम ) 375 30 15
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) 185 15 7.5
विधि- 2
12.32.16 मिश्रित खाद (किलो ग्राम ) 187 15 7.5
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) 116 9.3 5
यूरिया ( किलो ग्राम) 227 22 11

नर्सरी बीजाई का ससय:

मध्य क्षेत्र सितम्बर-अक्तूबर
ऊंचे क्षेत्र मार्च -मई
प्याज की तरह लीक की पौध् की भी रोपाई करें। पौध् 30-35 सैं. मी. के अन्तर पर तथा 10-15 सैं. मी. गहरी नालियों में लागाएं जो पौधें के बढ़वार के साथ-2 भरी जानी चाहिए। इससे पौधे का आकार वाला भाग (10-15 सैं. मी.) सफेद होगा व गर्दन मोटी होगी। इस फसल के पत्ते लहुसन की तरह होते है लेकिन यह नीचे गांठ नहीं बनाती है। इसके अतिरिक्त इसका तना बराबर मोटाई पकड़ता है तथा लगभग 2.5 सैं. मी. व्यास का हो जाता है।

सस्य क्रियायें:

गोबर की खाद खेत तैयार करते समय मिलायें ।
विधिः रोपाई के समय सुपर फास्फेट व पोटाश की सारी मात्रा व यूरिया की आध्ी मात्रा खेतों में मिला लें। शेष यूरिया खाद को दो बार एक-एक महीने के अन्तराल पर डालें।
विधि2 12ः32ः16 मिश्रित खाद व म्यूरेट आॅफ पाराश की सारी मात्रा खेत तैयार करते समय डालें। यूरिया खाद को दो बार एक-एक महीने के अन्तराल पर डालें।
खरपतवारों की रोकथाम, निराई व गुड़ाई तथा सिंचाई इत्यादि क्रि यायें प्याज की तरह ही करें।

कटाई व उपज:

जब लीक के पौधें के तने 2-3 सैं. मी. व्यास के हो जाएं तो इन्हें उखाड़ लें । हरे पत्तें ऊपर से 4-5 सैं. मी. काट कर पौधें को अच्छी तरह धेकर हरे प्याज की तरह गाँठे बांध् कर मंडी भेज दें। क्योंकि बढ़वार के समय पौधें की तहों में मिट्टी फंस जाती है। इसलिए पकाने के पहले पौधें को लम्बाई में काट कर अच्छी तरह से पानी से धे लें। यह फसल बीजाई से तुड़ाई तक लगभग 28-30 सप्ताह ले लेती है । वैज्ञानिक ढंग से उगाई गई अच्छी फसल से औसत 350-400 क्ंिवटल प्रति हैक्टैयर (25-32 क्ंिवटल प्रति बीघा अथवा 14-16 क्ंिवटल प्रति कनाल) उपज मिल सकती है ।
बीजोत्पादनः
लीक एक परपरागित फसल है। ‘बीज से बीज’ व ‘जड़ से बीज’ इन दो विध्यिों द्वारा लीक का बीजोत्पादन किया जाता है। जड़ से बीज विधि में अत्याध्कि चयन द्वारा उन्नत बीज प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए पैन्सिल मोटाई की चयन की हुई जड़ों को 60*10 सैं. मी. के अन्तर पर पुनः प्रतिरोपित कर दिया जाता है। विभिन्न किस्मों का बीज पैदा करने के लिए 1000 मीटर पृथकीकरण की दूरी रखना जरूरी है। अवाँछनीय पौधें को निकालने का कार्य सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि बीज फसल की अनुवांशिकी एवं भौतिक शुद्वता इस पर निर्भर करती है। लीक की बीज फसल की कटाई भी प्याज की तरह ही की जाती है और बीज निकालने की विधि भी इन फसलों के समान ही है। औसत बीजोत्पादन 500 कि. ग्रा. प्रति हैक्टेयर (40 कि. ग्रा. प्रति बीघा अथवा 20 कि. ग्रा. प्रति कनाल) होता है।
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Visitor No.: 08894549   Last Updated: 13 Jan 2016