HomeJob ProfilesTender NoticeBudgetRTI Act 2005Act & RulesDealersG2G LoginMain     हिंदी में देंखे    
  Welcome to Online Portal of Agriculture    
Main Menu
About Us
Achievements
Action Plan
Thrust Areas
Functions
Targets
Gallery
Organisational Structure
Agro Climate Zone
Grievance Redressal Cell
Package of Practice
Framework of Agricultural Activities for 52 Weeks
Land Use Pattern
NBMMP
Other Useful Links
Agriculture Mobile Portal
Package of Practice

मिर्च

मिर्च सिरमौर ,चंबा , सोलन, मंडी, कुल्लू व काँगड़ा के क्षेत्रो की प्रमुख फसले है और प्रदेश के हर जगह में उगाई जाती है 

उन्नत किस्मे :


सोलन येलो : इसके फल पकने पर पीले हो जाते है | फल 4 - 5 सेंटी मीटर लम्बा व अधिक कडवा | औसत उपज 75 -100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर|

हाँट पुर्तगाल : फल गहरे हरे रंग के और पकने पर लाल ,फल 11 - 15 सेंटी मीटर लम्बा व औसत उपज 75 -100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर |

पंजाब लाल : फल हलके हरे रंग के और पकने पर लाल रंग के ,अधिक कडवे व उपर के और उठे हुए | औसत उपज 75 -110 क्विंटल प्रति हेक्टेयर | 

सूरजमुखी : पोधा छोटा ,पत्तो वाला ,फल गहरे रंग के पकने पर लाल रंग के ,अधिक कडवे फल 8 -12 गुछो में उपर के और उठे हुए | औसत उपज 75 -100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर | इसका अनुमोदन जीवाणु मुरझान क्षेत्रो के लिए किया गया है |

स्वीट बनाना : फल हलके पीले रंग के और पकने पर लाल रंग के 18 - 20 सेंटी मीटर लम्बे व अधिक कडवे नही | औसत उपज 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर |

हंगेरियन वेक्स : फल पकने पर लाल रंग के 15 -16 सेंटी मीटर लम्बे व कम कडवे | औसत उपज 75 85 क्विंटल प्रति हेक्टेयर |

डी.के . सी .-8 ; नई किस्म, प्युज़ेरियम मुरझान रोग के लिए प्रतिरोगी तथा खंड -1 खंड-2 में कांचग्रह में लगने के लिए उपयुक्त है पोधे सीधे ऊपर की और हरे रंग के तथा मध्यम आकर के होते है फल नीचे की और लटके हुए पकने पर लाल ,अधिक कडवे 10 -12 फल गुच्छो में लगे होते है फसल 110 दिन में पक कर तेयार हो जाती है

मुरझान रोग (बेकटीरील वेक्ट ) जो की काँगड़ा,मंडी व् चंबा के क्षेत्रो में मिर्च की फसल को पूर्णतय नष्ट कर देती है ,से बहुत अधिक प्रभावित होती है सूरजमुखी का बीज चो . स . कु. हि. प्र. कृषि विशवविधालय से प्राप्त किया जा सकता है स्वीट बनाना हंगेरियन वेक्स कम कड़वाहट वाली व् आचार के लिए अच्छी मानी जाती है



निवेश सामग्री


  प्रति हेक्टर प्रति बीघा प्रति कनाल
बीज ( ग्राम) 1000 80 40
खाद एवं उर्वरक
गोबर की खाद (क्विंटल ) 250 20 10
विधि -1
यूरिया ( किलो ग्राम) 150 12 6
सुपरफास्फेट ( किलो ग्राम ) 475 38 19
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) 90 7 3.5
विधि- 2
12.32.16 मिश्रित खाद (किलो ग्राम ) 234 18.7 9.4
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) 29 2.3 1.2
यूरिया ( किलो ग्राम) 103 8.2 4.0
लासो लीटर 4 320 मि.ली . 160 मि.ली .
स्टाम्प 4 320 मि.ली . 160 मि.ली .


बिजाई व रोपाई

मिर्च की पोध नर्सरी में तेयार की जाती है नर्सरी बिजाई का उचित समय निम्न है 

निचले क्षेत्र : नवम्बर ,फरवरी, मई -जून
मध्य क्षेत्र : मार्च से मई
ऊँचे क्षेत्रो : रोपण योग्य पोध को निचले या माँ मध्य पर्वतीय क्षेत्रो से लाकर या पोध को नियंत्रित वातावरण में इस तरह तेयार करे ताकि अप्रैल मई में रोपण के लिए तेयार हो जाये

जब पोध 1 0 -15 से.मी. उची हो जाये तो समतल खेत अथवा मेंढे (अधिक वेर्षा वाले क्षेत्रो में) दोपहर बाद शाम के समय इसकी रोपाई करे रोपाई के बाद सिंचाई और कुछ समय तक हाथ से पानी देना अत्ति आवश्यक है

 

पोधो को निमंलिखित दुरी पर लगाये

 

पंक्ति से पंक्ति 45 से . मी .
पोधे से पोधे 45 से . मी .

 

सस्य क्रियाऐ :

विधि -1 खेत तेयार करते गोबर की खाद सुपर फ़ास्फेट म्यूरेट ऑफ़ पोटाश की पूरी तथा यूरिया की आधी मात्रा अच्छी तरह मिला ले शेष यूरिया की आधी मात्रा दो बराबर हिस्सों में रोपाई एक-एक महीने के अन्तराल पे डाले|
विधि -2 गोबर की खाद , 12 :32 :16 म्यूरेट ऑफ़ पोटाश की साडी मात्रा खेत तेयार करते समय डाले | यूरिया खाद को दो बराबर हिस्सों में एक निराई - गुड़ाई के समय और दूसरी फूल आने के समय डाले |

खरपतवारनाशी लासो या स्टाम्प ,रोपाई से पहले या रोपाई के बाद झिडकाव करे | सिंचाई आवश्कतानुसार 8 -10 दिन के अंतराल पर करे | पोधो में 2 -3 बार गुड़ाई करना व् महीने बाद मिटटी चढ़ाना अच्छी पैदावार के लिए आवश्यक है|

 

तुड़ाई व उपज: हरी मिर्चों को तब तोड़े जब उनकी बढ़वार रुके और रंग चमकीला हो जाये या पकने पर लाल या पीला रंग आने पर तोड़े | हरी मिर्च की ओसत पैदावार (क्विंटल ) इस प्रकार है

 

प्रति हेक्टर प्रति बीघा प्रति कनाल
75-125(क्विंटल ) 6-10(क्विंटल ) 3-5(क्विंटल )


बीज उत्पादन



अबांछनीय पोधो को पूल निकलने से पहले ही निकल देना चाहिए | पर परागित फसल होने के कारण दो प्रजातियों में फासला कम से कम 200 मी . होना चाहिए | सवस्थ पकी हुई मिर्चों का बीज निकाल कर छाया में सुखाकर नमी -रहित जगह में भंडारण करे |

प्रति हेक्टर प्रति बीघा प्रति कनाल
300-400 किलो ग्राम) 24-32 किलो ग्राम) 12-16किलो ग्राम


पोध संरक्षण 

लक्षण

उपचार

बीमारिया 

कमर तोड़ रोग : 

टमाटर की तरह पौध् निकलते ही जमीन की तरफ झुक जाती है 
और मर जाती है।
टमाटर की तरह
फल सड़न और लीफ ब्लाईट : फलों पर छोटे-छोटे पीले ध्ब्बे बन जाते हैं और पूर्णतय: सड़ जाते हैं 
। ऐसे ही ध्ब्बे पत्तो पर भी आते हैं और वह सड़ जाते हैं ।
1. रोग मुक्त बीज व पौधे लगायें।
2. मैनकोजैब या इण्डोफिल एम-45 ;2 ग्राम प्रति किलोग्रामद्ध से बीज का उपचार करें। 3. सड़े फलों को एकत्रा करके नष्ट करें।
4. मौनसून आने से पहले फसल पर रिडोमिल एम जैड (25 ग्राम 10 लीटर पानी ) तथा उसके बाद बोर्डो मिश्रण (100 ग्राम नीलाथोथा,100 ग्रा
चूना और 10 लीटर पानी) या कापर आक्सीक्लोराईड या ब्लाईटाक्स-50;30 ग्राम प्रति 10 लीटर पानीद्ध का छिड़काव करें। बाद में 8-10 दिन के अन्तराल पर भी छिड़काव करते रहें।
चूर्णसिता रोग: पत्तों, तनों तथा फलों पर हल्कें सफेद रंग का चूर्ण दिखाई देता ह . टैबूकानोजोल(0.0)द्धया सितारा ;हैक्साकोनाजोल 5 ई. सी. (0.05:) का 15 दिन के अन्तराल पर तीन बार छिड़काव करें। 2.शेयर(0.04)या सलफेक्स (0.025) या कैराथेन (0.1) का 10 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करें। 
.एन्थ्रेकनोज़ या डाई बैक: रोगग्रस्त टहनियां ऊपर से नीचे की ओर सूखने लगती है। फल पर फफूंद के गहरे गुलाबी रंग के छोटे छोटे ध्ब्बे बन जाते हैं 

उपरोक्त
फ्रयूजेरियम विल्ट : पौधे मुरझा कर पीले पड़ जाते है। रोपणसे पहले पौध् को0.1: बैविस्टीन के घोल में 20 मिनट तक डूबाकर रखें और फूल आने के समय इण्डोफिल एम-45 0.25)या बैविस्टीन (0.1)के घोल की सिंचाई करें।
मोजैक :पत्ते हरे रंग के बिना, मटमैले ध्ब्बों वाले तथा मोटी धरियों वाले हो जाते हैं तथा मुड़ने लगते है। रोगी पत्ते मोटे और गुच्छे से हो जाते हैं। पौधें की बढ़वार रूक जाती है। फूल गिर जाते है। और फल विकृत आकार के हो जाते हैं।
1. रोग प्रतिरोधी किस्म लगायें ।
2. रोग के संक्रमण को रोकने के लिए मक्की या बाथू जैसी फसल मेढ़ों पर लगायें। 
3. मैलाथियान (750 मिली साईथियान
/ मैलाथियान 50 ई. सी.) 750 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें । यदि कीटों का प्रकोप बना रहे तो 15 दिन के अन्तराल पर पुन: छिड़का

कीट :कीट-मक्खियां : 
तेले तथा थ्रिप्स पत्तों का रस चूसकर पोधें को हानि पहुँचाते है। तेला तथा मक्खियां कभी-कभी विषाणुरोग को भी फैलाती हैं ।
मैलाथियान 0.05 प्रतिशत(750 मि. ली.साईथियान/मैलाथियान50 ई. सी.)750 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। यदि कीटों का प्रकोप बना रहे तो 15 दिन के अन्तराल पर पुन: छिड़काव करें । सावधनी:छिड़कावकरने के उपरान्त एक सप्ताह तक फलों को न तोड़े
दीमक : फसल की जड़ो पर पलती है व् फसल को नष्ट कर देती है निचले पहाडी क्षेत्रो में इसकी समस्या गम्भीर है। टमाटर में कटुआ कीट नियन्त्राण की तरह।
Main|Equipment Details|Guidelines and Publications|Downloads and Forms|Programmes and Schemes|Announcements|Policies|Training and Services|Diseases
Visitor No.: 08894551   Last Updated: 13 Jan 2016