शिमला मिर्च
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शिमला मिर्च मध्य पर्वतीय क्षेत्रों (सोलन, कुल्लू, सिरमौर, मंडी, चम्बा, कांगड़ा व शिमला क्षेत्र) की एक प्रमुख नकदी फसल है| हिमाचल प्रदेश में शिमला मिर्च व मिर्च की खेती लगभग 1014 हैक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है तथा पैदावार लगभग 9.563 टन है| इससे लगभग 155-2500 रूपये प्रति बीघा लाभ होता है|
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उन्नत किस्में :
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केलीफोर्निया वन्डर : पौधा मध्यम ऊंचाई वाला, फल चमकीले हरे रंग का व 3-4 उभर वाला, पहली तुड़ान लगभग 75 दिन बाद| ऊपर बताए गए सभी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म| पैदावार 125-150 क्विंटल प्रति हैक्टेयर|
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येलो वन्डर : पौधा मध्यम ऊंचाई व अधिक चौड़े पत्तों वाला, फल गहरे हरे रंग के तथा 3-4 उभार वाले| केलीफोर्निया वन्डर से 5-7 दिन पहले तैयार होते हैं व औसत उपज 120-140 क्विंटल प्रति हैक्टेयर|
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सोलन हाईब्रिड -1 : यह शीघ्र तथा अधिक उपज देने वाली संकर किस्म है जो मध्य क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है| यह फल सड़न रोग के लिए प्रतिरोधी किस्म है|
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सोलन हाईब्रिड -2 : यह शीघ्र तथा अधिक उपज देने वाली संकर किस्म है जिसे प्रदेश के क्षेत्र -2 तथा क्षेत्र -3 के लिए अनुमोदित किया गया है| इसके पौधे ऊंचे व फल आयातकार तथा 3-4 उभार वाले होते हैं व 60-65 दिनों में तैयार हो जाते हैं| यह फल सड़न एवं जीवाणु रोगों के लिए प्रतिरोधी किस्म हैं तथा 325-375 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उपज देती है|
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सोलन भरपूर : नयी किस्म, रोपाई से लगभग 70-75 दिनों में तैयार, फल घण्टीनुमा आकार, गहरे हरे, 50-60 ग्राम भर प्रति फल| औसतन उपज 300 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तथा फल सड़न रोग व जीवाणु पत्ता धब्बा रोग सहनशील|
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कनाल |
प्रति हैक्टेयर |
प्रति बीघा |
प्रति |
बीज (ग्राम) |
सामान्य किस्में |
750 – 900 |
60 – 80 |
30 – 40 |
संकर किस्में |
200 – 250 |
16 – 20 |
8 – 10 |
खाद एवं उर्वरक
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सामान्य/संकर किस्में |
गोबर की खाद (क्विंटल) |
200 – 250 |
16 – 20 |
8 – 10 |
विधि – 1
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यूरिया (कि.ग्रा.) |
200 |
16 |
8 |
सुपरफॉस्फेट (कि.ग्रा.) |
475 |
40 |
20 |
म्यूरेट ऑफ पोटाश (कि.ग्रा.) |
90 |
7 |
3.5 |
विधि – 2
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12:32:16 मिश्रित खाद (कि.ग्रा.) |
234 |
18.7 |
9.4 |
म्यूरेट ऑफ पोटाश (कि.ग्रा.) |
29 |
12.3 |
1.2 |
यूरिया (कि.ग्रा.) |
156.3 |
12.5 |
6.3 |
लासो (लीटर) या मि.ली. |
4 |
320 मि.ली. |
160 |
स्टॉम्प मि.ली. |
4 |
320 मि.ली. |
160 |
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संकर किस्मों से अधिक उपज लेने के लिए 480 कि.ग्रा. यूरिया (240 कि.ग्रा. नत्रजन) व 375 किलो ग्राम सुपरफास्फेट (60 किलो ग्राम फास्फोरस) प्रति हैक्टेयर दें|
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विशेष :ऊपर लिखी सभी प्रजातियां जीवाणु मुरझान रोग (बैक्टीरियल विल्ट) जो कि कांगड़ा घाटी तथा साथ लगने वाले मंडी व चम्बा के क्षेत्रों में शिमला मिर्च व मिर्च की फसल को पूर्णतय: नष्ट कर देती है, से बहुत अधिक प्रभावित होती है
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बीजाई एवं रोपाई :
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शिमला मिर्च की पौध तैयार करने का उचित समय व ढंग –
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निचले पर्वतीय क्षेत्र : |
नवम्बर, फरवरी से मार्च, अगस्त |
मध्य पर्वतीय क्षेत्र : |
मार्च से मई |
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ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र : रोपण योग्य पौध को निचले या मध्य पर्वतीय क्षेत्रों से लाना या पौध को नियन्त्रित वातावरण में इस तरह तैयार करें ताकि अप्रैल-मई में रोपाई हो सके| बीज अंकुरण के समय तापमान 20 सेल्सियस होना चाहिए| जब पौध 10-15 सैंटीमीटर ऊंची हो जाये तो समतल खेत अथवा मेढ़ें (अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में)बनाकर दोपहर बाद या शाम के समय इसकी रोपाई कर दें| रोपाई के बाद सिंचाई करना और कुछ दिनों तक हाथ से पानी देना अति आवश्यकहै| पौधों को निम्नलिखित दूरी पर लगाएं:-
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पंक्ति से पंक्ति |
60 सैं.मी. |
पौधे से पौधे : |
45 सैं.मी. |
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सस्य क्रियाएं :
विधि –1 : खेत में तीन–चार हल चलाएं तथा प्रत्येक जुताई के बाद सुहागा चलाएं जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाए| गोबर की खाद, सुपर-फास्फेट, म्यूरेट ऑफ पोटाश की पूरी मात्रा तथा यूरिया की आधी मात्रा खेत खेत तैयार करते समय डाल दें| यूरिया का एक चौथाई भाग रोपाई के एक महीने बाद तथा शेष चौथाई इसके एक महीने बाद डालें|
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विधि – 2 : गोबर की खाद, 12:32:16 मिश्रित खाद व म्यूरेट ऑफ पोटाश की सारी मात्रा खेत तैयार करते समय डालें| यूरिया खाद को दो बराबर हिस्सों में एक निराई-गुड़ाई के समय तथा दूसरी फूल आने के समय डालें|
खरपतवारनाशी दवाई लासो अथवा स्टाम्प को रोपाई के एक या दो दिन पहले खेत में स्प्रे कर दें| स्टाम्प को रोपाई के 8-10 दिन बाद भी स्प्रे किया जा सकता है| सिंचाई भूमि की दशा, मौसम तथा वर्षा की मात्रा पर निर्भर करती है| गर्म मौसम में-7 दिन तथा ठण्डे मौसम में 10-15 दिन के अन्तराल पर फसल सिंचाई की जानी चाहिए| पौधों की 23 बार गुड़ाई करना आवश्यक है तथा 30-40 दिन के बाद मिट्टी चढ़ानी चाहिए| वर्षा ऋतु में खेतों से पानी के निकास का प्रबन्ध समय पर कार दें|
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तुड़ाई एवम् उपज :
फलों का पूर्ण आकार होने पर चमकीला हरा रंग बदलने से पहले तोड़ लें| शिमलामिर्च की औसत पैदावार इस प्रकार है| :
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हैक्टेयर |
प्रति बीघा |
प्रतिकनाल |
सामान्य किस्में |
100 – 125 |
8 – 10 |
4 – 5 |
संकर किस्में |
125 – 200 |
10 – 16 |
5-8 |
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