HomeJob ProfilesTender NoticeBudgetRTI Act 2005Act & RulesDealersG2G LoginMain     हिंदी में देंखे    
  Welcome to Online Portal of Agriculture    
Main Menu
About Us
Achievements
Action Plan
Thrust Areas
Functions
Targets
Gallery
Organisational Structure
Agro Climate Zone
Grievance Redressal Cell
Package of Practice
Framework of Agricultural Activities for 52 Weeks
Land Use Pattern
NBMMP
Other Useful Links
Agriculture Mobile Portal
Package of Practice

टमाटर

टमाटर मध्य पर्वतीय क्षेत्रों (सोलन, सिरमौर, कुल्लू, मंडी आदि) की एक प्रमुख नकदी फसल है| निचले पर्वतीय क्षेत्रों, विशेषकर कांगड़ा जिला के देहरा व नूरपुर उपमण्डल तथा साथ लगने वाले कुछ अन्य स्थानों में व बिलासपुरके कुछ भागों में बारानी फसल लेकर कृषक अच्छी आमदनी ले रहे हैं| हिमाचल प्रदेश में इसकी खेती लगभग 2366 हैक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती ह तथा पैदावार लगभग 53, 578 मीट्रिक टन है|

उन्नत किस्में :

अनुवांशिकता के आधार पर प्रजातियों को शुद्ध वंश क्रमों व संकर तथा पौध बढ़वार के अनुसार छोटी (बौनी) किस्मों बाटा जा सकता है| कम वर्षा वाले क्षेत्रों को छोड़कर अन्य सभी प्रमुखक्षेत्रों में लम्बी बढ़वार वाली प्रजातियां ही अच्छी पैदावार देती है क्योंकि अपरिमित बढ़वार, फूल व फल अधिक समय देती है तथा झांबे लगाने से फल सड़न रोग कम लगता है|

सोलन बज्र (यू एच एफ ||) :

यह एक नई किस्म हैं और इसके फल का आकार दिल की तरह, सख्त और छिल्का मोटा है| फल का वजन लगभग 70 ग्राम और सोलन गोला किस्म से अधिक उपज देने वाली है व बीमारियों का प्रकोप भी कम है| यह लगभग 70 – 75 दिनों में तैयार हो उपज 425 – 475 क्विंटल/हैक्टेयर है| इसको प्रदेश के मध्य पर्वतीय क्षेत्रों (जोन-2) में उगाने के लिए अनुमोदित किया गया है जहां पर जीवाणु मुरझान रोग का प्रकोप न हो|

सोलन गोला :

ऊंची बढ़वार वाली, फल गोल, मध्य से बड़ा आकार, मोटा छिल्का कच्चे फल का ऊपरी भाग गहरा हरा तथा अच्छे परिवहनीय गुण| औसत उपज 375 क्विंटल प्रति हैक्टेयर|

यशवन्त (ए-2) :

ऊंची बढ़वार वाली, फल गोल, छपता तथा मोटा छिल्का, बकाई फल सड़न प्रतिरोधी किस्म| औसत उपज 500 क्विंटल प्रति हैक्टेयर|

मारग्लोब :

ऊंची बढ़वार वाली, फल गोलाकार, बड़ा आकार/नाप, मोटा छिल्का, कच्चे फल का ऊपरी भाग गहरा हरा तथा अच्छे परिवहनीय गुण| औसत उपज 400 क्विंटल प्रति हैक्टेयर|

स्यू (स्यूक्स) :

ऊंची बढ़वार, फल मध्य नाप वाले, लगभग गोलाकार, कच्चा फल हल्का हरा (दूधिया रंग) परन्तु पकने पर एक जैसा लाल| औसत उपज 350 क्विंटल प्रति हैक्टेयर|

सोलन शगुन :

मध्यम ऊंचाई वाली संकर किस्म, पत्ते गहरे हरे, फल गहरे लाल, 70 – 75 दिनों में तैयार| औसतन पैदावार 500 क्विंटल प्रति हैक्टेयर, झुलसा व फल सड़न रोगों का कम प्रकोप|

रोमा :

बौनी बढ़वार, अधिक पत्ते, फल नाशपाती आकार के, मोटा छिल्का तथा अच्छे परिवहनीय गुण| औसत उपज 500 क्विंटल प्रति हैक्टेयर

रुपाली :

मध्यम बढ़वार वाली संकर प्रजाति, फल गोलाकार व मध्य नाप, अच्छे परिवहनीय गुण| औसत उपज 500 क्विंटल प्रति हैक्टेयर

एम टी एच-15 :

मध्यम बढ़वार संकर प्रजाति, फल गोल व मोटे छिल्के वाले| औसत उपज 450 क्विंटल प्रति हैक्टेयर|

नवीन :

ऊंची बढ़वार वाली संकर प्रजाति, फल गोलाकार तथा अच्छे परिवहनीय गुणों से सम्पन्न, सोलन तथा साथ लगने वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त| औसत उपज 400-450 क्विंटल प्रति हैक्टेयर

पालम पिंक (बी.एल 342-1) :

ये एक नई जीवाणु मुरझान रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली किस्म है जिसका अनुमोदन प्रदेश के अत्यधिक प्रभावित क्षेत्रों (निचले एव मध्यवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों) के लिए किया गया है| इसकी बौनी बढ़वार, गुलाबी रंग के फल तथा औसत उपज 238 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है|

पालम प्राईड (ई.सी. 191536):

इस किस्म का प्रदेश के अत्यधिक जीवाणु मुरझान रोग प्रभावित (निचले एवं मध्यवर्ती) के लिए अनुमोदन किया गया है| ऊंची बढ़वार तथा रोपाई के चार सप्ताह बाद पौधों को ऊपर से काट दें| उपज लगभग 237 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है|

सोलन गरिमा :

रिमित बढ़वार वाली संकर किस्म, 3-4 फल प्रति गुच्छा, 75-80 दिनों में तैयार, औसतन फलभार 60 ग्राम, गोल, गहरा गुलाबी रंग, मोटे छिल्के वाले तथा टी एस एस (4.5 व्रिक्स से ज्यादा), अच्छे परिवहनीय गुण, औसत उपज 650 क्विंटल प्रति हैक्टेयर, मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में ग्रीष्म ऋतु के लिए उपयुक्त संकर किस्म|

हिम प्रगति (ई.सी-129601) :

ऊंचे शुष्क शीतोष्ण क्षेत्र (लाहौल घाटी) के लिए नई किस्म, पौधे नियमित ऊँचाई वाले, बहुफलदायक, फल गहरे लाल रंग के, मध्यम नाशपाती आकार के फल, गुच्छों में, विधायन के लिए उपयुक्त किस्म, मोटा छिल्का होने के कारण अधिक दूरस्थ क्षेत्रों के लिए परिवहनीय, ठण्ड प्रतिरोधी तथा अगेती किस्म, 85 दिन में पक कर तैयार, पैदावार रोमा किस्म से 46 प्रतिशत अधिक|

निवेश सामग्री :

बीज (ग्राम)

प्रति हैक्टेयर

प्रति बीघा

प्रति कनाल

सामान्य किस्में 400-500 35-40 16-20
संकर किस्में 50 12 6

खाद एवं उर्वरक

सामान्य/ संकर किस्में

गोबर की खाद (क्विंटल) 200 20 10

विधि-I

यूरिया (कि.ग्रा.) 200 (300) 16 (24) 8 (12)
सुपरफॉस्फेट (कि.ग्रा.) 475 (750) 38 (60) 19 (30)
म्यूरेट ऑफ पोटाश (कि.ग्रा.) 90 7 3.5

विधि-II

12:32:16 मिश्रित खाद (कि.ग्रा.) 234 (375) 19 (30) 10 (15)
म्यूरेट ऑफ पोटाश (कि.ग्रा.) 29 2.5 1.2
यूरिया (कि.ग्रा.) 156 (229) 12.5 (18.5) 6.3 (9)
लासो (लीटर) या 4.6 लीटर 320 मि.ली. 160 मि.ली.
बैसालिन अथवा 2.6 लीटर 200 मि.ली. 100मि.ली.
स्टॉम्प 320 मि.ली. 160 मि.ली.
 
लासो (लीटर) या 4.6 लीटर 320 मि.ली. 160 मि.ली.
बैसालिन अथवा 2.6 लीटर 200 मि.ली. 100मि.ली.
स्टॉम्प 320 मि.ली. 160 मि.ली.

नोट :

संकर किस्मों के लिए यूरिया, सुपरफॉस्फेट की मात्रा व 12:32:16 मिश्रित खाद कोष्टों में दी गई मात्रा अनुसार डालें|

टमाटर :

प्रदेश के ऊंचे शुष्क शीतोष्ण क्षेत्रों में अधिक पैदावार के लिए खाद की मात्रा 200 क्विंटल प्रति हैक्टेयर रखें|

बीजाई व रोपाई :

सबसे पहले टमाटर की पौध तैयार की जाती है| नर्सरी बीजाई का उचित समय निम्न है:-

निचले पर्वतीय क्षेत्र :

जून-जुलाई (बारानी क्षेत्र), नवम्बर, फरवरी (सिंचित क्षेत्र)

मध्य पर्वतीय क्षेत्र :

फरवरी-मार्च (सिंचित अवस्था), मई-जून (आंशिक सिंचित/बारानी)

जब पौध 10-15 सैं.मी. ऊंची हो जाये तो समतल खेत अथवा मेढ़ें (अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में) बना कर दोपहर बाद/शाम के समय इनकी रोपाई कर दें| रोपाई के बाद सिंचाई करना और कुछ दिनों तक फव्वारे से पानी देना अति आवश्यक है| पौधों को निम्नलिखित दूरी पर लगायें

बौनी बढ़वार वाली किस्में : 60 X 45 सैं.मी.
ऊंची बढ़वार वाली किस्में : 90 X 30 सैं.मी.

सस्य क्रियांयें :

विधि-1 :

खेत की जोताई भली प्रकार करें| गोबर की खाद व सुपरफास्फेट की सारी मात्रा, म्यूरेट ऑफ पोटाश की आधी तथा खाद की एक-तिहाई मात्रा खेत तैयार करते समय डालें| यूरिया खाद की एक–तिहाई मात्रा रोपाई के महीने बाद तथा शेष एक-तिहाई मात्रा इसके महीने बाद डालें| म्यूरेट ऑफ पोटाश की शेष आधी मात्रा फल बनने के समय दें|

विधि-2 :

गोबर की खाद, 12:32:16 मिश्रित खाद व म्यूरेट ऑफ पोटाश की सारी मात्रा खेत तैयार करते समय डाले| यूरिया खाद का दो बराबर हिस्सों में एक निराई-गुड़ाई के समय तथा दूसरी फूल आने के समय डालें|

वर्षा ऋतु में यूरिया (100-150 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) का घोल बनाकर छिड़काव करें जिससे नत्रजन की कमी नहीं रहेगी और फल अधिक पकने में सहायक होगा| फल व बीज की अधिक उपज लेने के लिए 20 कि.ग्रा. बोरेक्स व 10 कि.ग्रा. कैल्शियम कार्बोनेट का मिश्रण प्रति हैक्टेयर डालें|

निराई-गुड़ाई एवं खरपतवार नियन्त्रण :

फसल में दो बार निराई-गुड़ाई करें, पहली पौध रोपण के 2-3 सप्ताह बाद और दूसरी इसके एक महीने बाद करें| वार्षिक एवं चौड़ी पत्तों वाले तथा मोथा खरपतवारों के लिए पौधा लगाने से पहले एलाक्लोर (लासो) 2 किलो ग्राम (स.म.)/है 700-800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें| यदि केवल वार्षिक खरपतवारों की समस्या हो तो पौध रोपण से पहले पैन्डीमिथालिन (स्टाम्प) 1.2 कि.ग्रा. (स.प.) / है या फलुक्लोरालिन (बैसालिन) 1.32 कि.ग्रा. (स.प.) / है का छिड़काव करें|

जल – प्रबन्ध :

मध्यवर्ती क्षेत्रों में मई-जून के महीनों में पौधों को टिकने के लिए प्रति पौध ½ लीटर पानी प्रतिदिन दें जब तक बरसात न लग पड़े| बरसात के बाद 10 दिन के अन्तर पर सिंचाई करें|

तुड़ाई एवं उपज :

टमाटर के फलों की तुड़ाई इस बात पर निर्भर करती है कि उपज को कितनी दूर स्थित मंडी में ले जाना है| सामान्यतः फलों को हरी परिपक्य या ब्रेकर अवस्था (फसल के निचले भाग के लगभग ¼ हिस्से में गुलाबी रंग का उभरना) पर तोड़कर उपयुक्त मंडी में भेज दें| टमाटर की औसत उपज इस प्रकार है|
  प्रति हैक्टेयर प्रति बीघा प्रति कनाल
सामान्य किस्में (क्विंटल) 300 – 400 24 – 32 12 – 16
संकर किस्में (क्विंटल) 450 – 500 36 – 40 18 – 20

हरित गृह में टमाटर उत्पादन :-

किस्में :-

(क) आर्मशा (सेन्चूरी सीड)
(ख) नवीन 2000 + (इंडो अमेरिकन)
(ग) बी. एस. एस. – 366 (बीजो शीतल) चेरी टाईप
भूमि मिश्रण :- मिट्टी (2 भाग) : गोबर की खाद/कम्पोस्ट (1 भाग) व रेत (1 भाग) का मिश्रण
पौध रोपाई का समय :- फरवरी व जुलाई - अगस्त
खाद व उर्वरक :- भूमि मिश्रण में रोपाई से पहले 100 कि.ग्रा. प्रति है॰ की दर से नत्रजन फास्फोरस व पोटाश मिलाएं|
फर्टिगेशन :(पानी के साथ खाद) पानी में घुलनशील मिश्रित खाद या उर्वरक (19:19:19) 200 कि.ग्रा. प्रति है॰ एन:पी.के. की दर से सप्ताह में सिंचाई के साथ करें| फर्टिगेशन रोपाई के बाद तीसरे सप्ताह शुरू करें व अन्तिम तुड़ाई से 15 दिन पहले बंद कर दें|

टमाटर

बकाई राट तथा अल्टरनेरिया झुलसा रोग :-

झुलसा रोग की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु पौधों पर मेनकोबेज एफ पी (युरोफिल एन टी) @ 0.05 प्रतिशत की दर से 15 दिन के अन्तराल पर बिमारी के लक्षण आते ही छिड़काव करें| सम्पूर्ण रोकथाम के लिये 4 छिड़काव की आवश्यकता पड़ती है|

बीजोत्पादन :

टमाटर स्वपरागित फसल है| सामान्य (शुद्ध वंश क्रम) प्रजातियों का बीज किसान स्वयं तैयार कर सकते हैं परन्तु संकर प्रजाति का बीज हर वर्ष नया ही लें बीजोत्पादन के लिए फसल को मंडीकारण वाली फसल की तरह ही लगाया जाता है| परन्तु फलों को पूर्णतयः पकने पर ही तोड़ते हैं| जिस प्रजाति का प्रमाणित बीज पैदा करना हो, उसे अन्य प्रजातियों से कम से कम 25 मीटर की दूरी पर लगायें| फसल का निरीक्षण फूल आने से पूर्व, फूल व फल बनते समय और फल पकने पर अवश्य करें ताकि अबांछनीय (ऑफ टाईप) पौधों व फलों को अलग किया जा सके| शुद्ध, रोगमुक्त व उत्तम फलों का गूदा निकाल कर किसी अधातु वाले बर्तन में रख कर मसला जाता है| एक या दो दिन बाद बीज को गूदे से अलग कर दें| साफ़ पानी में अच्छी तरह धोकर छाया या हल्की धूप में सूखा लें| लगभग 125 किलोग्राम पके हुए गोलाकर फलों से एक किलोग्राम बीज की प्राप्ति होती है| नाशपाती आकार वाले फलों में बीज की मात्रा कुछ कम होती है|

बीज उपज :

  प्रति हैक्टेयर प्रति बीघा प्रति कनाल
गोल फल वाली किस्में (कि.ग्रा.) 125 - 150 10 - 12 5 – 6
नाशपाती आकार के फल वाली किस्में (कि.ग्रा.) 75 – 100 6 – 8 3-4
Main|Equipment Details|Guidelines and Publications|Downloads and Forms|Programmes and Schemes|Announcements|Policies|Training and Services|Diseases
Visitor No.: 08894560   Last Updated: 13 Jan 2016