अरबी
यह एक बहुवर्षीय कंदीय फसल है। इसके बड़े आकार के पत्तों एंव कंद (गांठों)को सब्जी के रूप में खाते है। इसकी खेती मुख्यतः 1600 मीटर तक की ऊँचाई वाले क्षेत्रों में की जाती है। इन क्षेत्रों के लगभग सभी परिवार इसको गृह-वाटिका में उगाते हैं। अरबी अच्छे भाव बिकती है तथा इसका भण्डारण काफी समय तक कमरों में ही किया जा सकता है। प्रायः स्थानीय किस्में ही उगाई जाती हैं। |
निवेश सामग्री: |
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प्रति हेक्टर |
प्रति बीघा |
प्रति कनाल |
बीज ( ग्राम) |
20 |
1.60 |
0.80 |
खाद एवं उर्वरक |
गोबर की खाद (क्विंटल ) |
200 |
16 |
8 |
विधि -1 |
यूरिया ( किलो ग्राम) |
200 |
16 |
8 |
सुपरफास्फेट ( किलो ग्राम ) |
315 |
25 |
12 |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) |
80 |
6.5 |
3.2 |
विधि- 2 |
12.32.16 मिश्रित खाद (किलो ग्राम ) |
157 |
12.5 |
6.3 |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) |
41 |
3.3 |
1.7 |
यूरिया ( किलो ग्राम) |
175 |
14 |
7 |
मल्च |
हरी पत्तियां (टन) |
12.5 |
1.0 |
0.5 |
या सूखी पत्तियां (टन) |
5 |
0.4 |
0.2 |
गोबर की खाद (टन) |
10 |
0.8 |
0.4 |
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सस्य क्रियाये:
विधि 1: खेत की तैयारी के समय गोबर की खाद, सुपर फास्फेट, म्यूरेट आॅफ पोटाश की पूरी एवं आध्ी यूरिया खाद मिट्टी में मिला दें तथा शेष यूरिया खाद मिट्टी चढ़ाने के समय मिलाएँ। अंकुरित मूलकन्द या कंद बीजाई के लिए उपयुक्त होते है। अरबी गहरी उपजाऊ बलुई दोमट भूमि में अच्छी पनपती है। 3-4 बार हल चलाएं।
विधि 2: गोबर की खाद, 12ः32ः16 मिश्रित खाद, म्यूरेट आफ पोटाश की सारी मात्रा व यूरिया खाद की आधी मात्रा खेत तैयार करते समय डालें। यूरिया खाद की शेष मात्रा मिट्टी चढ़ाने के समय डालें। |
दूरी:
कन्दों को एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति की दूरी 30-45 सैं. मी. तथा कंद से कंद की दूरी 20-30 सैं. मी. रखें तथा 5-6 सैं. मी. गहराई में बोयंे। बीजाई के लिए 50-60 ग्राम भर वाले कन्दों का प्रयोग करें। बड़े कन्दों को काटकर प्रयोग किया जा सकता है। प्रत्येक टुकड़े में 1-2 आँखे होनी चाहिए। बीजाई के तुरन्त बाद घास पत्तियों या गोबर की खाद से ढकना आवश्यक है। |
बीजाई का समयः
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अगेती फसल: |
मार्च-अप्रैल (सिंचित क्षेत्र) |
पछेती फसल: |
जून-जुलाई (असिंचित क्षेत्र) |
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सिंचाई व निराई-गुड़ाई:
गर्मी की फसल में सिंचाई हर सात दिन बाद तथा वर्षा )ऋतू की फसल में सिंचाई वर्षा बीत जाने पर हर 10 दिन के बाद करनी चाहिए । फसल की एक दो बार उथली गुड़ाई करें तथा प्रत्येक निराई के बाद खुली हुई जड़ों और कन्दों के ऊपर मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए । |
कटाई एवं खुदाई:
पत्ते जब नरम एवं बड़े आकार के हों तो काट कर निकाल लिए जाते है। कंद जब तैयार हो जायें तो खोद कर निकाल लें। |
उपज (क्विंटल ) |
प्रति हैक्टेयर |
प्रति बीघा |
प्रति कनाल |
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200-225 |
16-18 |
8-9 |
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प्रमुख रोग एवं उनका नियन्त्रण
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लक्षण/आक्रमण |
उपचार |
अरबी का झुलसा रोग: पत्तों पर गहरे भूरे रंग के चकते पड़ते है तथा अध्कि प्रकोप होने पर पत्ते, डण्ठल तथा कन्द पूर्वतयः सड़ जाते हैं। |
1. रिडोमिल एम जैड/यूनिलैक्स/ मैक्टो (0.25%) का 15 दिन के अन्तराल पर तीन बार छिड़काव करें।
2 इंडोफिल ए म - 4 5 या ब्लाईटोक्स (0.25%) का 7 दिन के अन्तराल पर 4-6 बार छिड़काव करें। |
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नोट: 10 लीटर घोल का छिड़काव करने के लिए 4-6 मि. ली. स्टीकर डालें। छिड़काव पत्तों की डण्डियों पर भी करें। |