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कद्दू

कद्दू निचले तथा मध्य क्षेत्रों में उगया जाता है। इसकी विशेषता यह है कि इसके फल 3-4 महीने आसानी से सामान्य अवस्था में रखे जा सकते है।

उन्नत किस्म:

सोलन बादामी: फल सन्तरी रंग के, औसत भार 2-4 कि. ग्रा. तथा आकार गोल होता है। औसत उपज 425-500 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर ।

  प्रति हेक्टर प्रति बीघा प्रति कनाल
बीज ( किलो ग्राम) 4 320ग्राम 160ग्राम
खाद एवं उर्वरक
गोबर की खाद (क्विंटल ) 100 8 4
विधि -1
यूरिया ( किलो ग्राम) 175 14 7
सुपरफास्फेट ( किलो ग्राम ) 375 30 15
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) 90 7 3.5
विधि- 2
12.32.16 मिश्रित खाद (किलो ग्राम ) 187.5 15 7.5
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) 41.3 3.3 1.7
यूरिया ( किलो ग्राम) 168.8 13.5 6.8

बिजाई

निचले क्षेत्र : फरवरी- मार्च,(सिंचित क्षेत्र)
  मई-जून (असिंचित क्षेत्र)
मध्य क्षेत्र : अप्रैल-मई
ऊँचे क्षेत्र : मार्च -अप्रैल

अन्तर: 250-300 सै. मी. की दूरी पर। बीजाई करेले की फसल की तरह करें।
सस्य क्रियायें: करेले की फसल की तरह। निराई-गुड़ाई एवं सिचाई खीरे की फसल की तरह करें।
तुड़ाई व उपज: फूल आने के लगभग एक महीने बाद फल तुड़ाई योग्य हो जाते हैं और पहली तुड़ाई बीजाई के लगभग 90-100 दिनों के बाद की जाती है। मण्डी के भावों के अनुसार फलों को कच्ची या पकी हुई अवस्था में तोड़ा जा सकता है।

उपज (क्विंटल ) प्रति हैक्टेयर प्रति बीघा प्रति कनाल
  400 32 16
चप्पन कद्दू (स्कवैश)
यह निचले तथा मध्य क्षेत्रों में नकदी फसल के रूप में उगाया जाता है। तथा इसकी विशेषता यह भी है कि कम समय में जल्दी पकने वाली फसल है। बहुफसल चक्र में भी यह फसल आसानी से अपनाई जा सकती है। इसकी किस्में लम्बें फल (स्कवैश) तथा छोटे गोल फल (चप्पन कद्दू) वाली होती है। निचले क्षेत्रों में नदियों के किनारे (स्वाँ के आस-पास) इसे दिसम्बर-जनवरी में बोया जाता है। इसकी फसल मार्च-अप्रैल में तैयार हो जाती है तथा मण्डी में अच्छे भाव बिकती है। मध्य पर्वतीय क्षेत्रों (कुल्लू घाटी) की यह लोकप्रिय फसल है।

स्कवैश की उन्नत किस्में:

आस्ट्रेलियन ग्रीन: इसके फल गहरे हरे रंग के, हल्की धरियों वाले तथा लम्बे होते हैं।
पूसा अलंकार : इसके फल हल्के रंग के, चमकीली धरियों वाले तथा लम्बे होते हैं। यह एक संकर किस्म है।

निवेश सामग्री:


  प्रति हेक्टर प्रति बीघा प्रति कनाल
बीज (किलो ग्राम) 6-8 500-600ग्राम 250-300ग्राम
खाद एवं उर्वरक
गोबर की खाद (क्विंटल ) 100 8 4
विधि -1
यूरिया ( किलो ग्राम) 200 16 8
सुपरफास्फेट ( किलो ग्राम ) 315 25 13
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) 90 7 3.5
विधि- 2
12.32.16 मिश्रित खाद (किलो ग्राम ) 157 12.5 6.3
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) 59 4.7 2.4
यूरिया ( किलो ग्राम) 175 14 7
बीजाई
निचले क्षेत्र : फरवरी- मार्च,(सिंचित क्षेत्र)
दिसम्बर-जनवरी (स्वाँ क्षेत्रो में)
मध्य क्षेत्र : मार्च,अप्रैल
कतारों मे 90 सैं. मी. की दूरी पर तथा पौधें में 60 सैं. मी. दूरी पर बीजाई करें औरएक स्थान पर 2-3 बीज बीजें और बाद में एक या दो स्वस्थ पौधे ही रखें।
सस्य क्रि याएं: खेत की तैयारी तथा अन्य सस्य क्रियाएं करेले की फसल (बसन्त-ग्रीष्म ऋतू ) की तरह करें । सिंचाई 5-7 दिन के अन्तराल पर करें तथा फूल आने तथा फलों के विकास के समय पानी की कमी न होने दें। 10-15 दिन के अन्तराल पर 2 या 3 बार निराई-गुड़ाई करें।
तुड़ाई व उपज: बीजाई के 50-60 दिनों के बाद फल तुड़ाई के योग्य हो जाते हैं |फल की तुड़ाई अच्छा आकार बनने पर तथा मुलायमपन और आकर्षक होने पर ही करें। 4-5 दिन के अन्तराल के बाद दूसरी तुड़ाई करें।
उपज:क्विंटल प्रति हैक्टेयर प्रति बीघा प्रति कनाल
  250-300 20-24 10-12
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Visitor No.: 08894650   Last Updated: 13 Jan 2016