करेला
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करेला मुख्यतः निचले क्षेत्रों में नकदी फसल के रूप में उगाया जाता है तथा कागंड़ा जिले में नूरपुर और इन्दौरा में इसकी बारानी खेती काफी लोकप्रिय है। इन क्षेत्रों में पैदा की गई फसल जम्मू तथा पंजाब इत्यादि प्रदेशों को भेजी जाती है। मध्य क्षेत्रों में भी इसकी सफल खेती की जाती है। |
उन्नत किस्में:
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सोलन हरा: फल हरे रंग के, 20 से 25 सैं. मी. लम्बे व 4-5 सैं. मी. मोटे होते हैं। औसत उपज 150-175 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर ।
सोलन सफेद: फल सफेद 20 से 25 सै. मी. लम्बे व 4-5 सैं.मी. मोटे होते हैं। औसत उपज 150-175 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर ।
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निवेश सामग्री
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प्रति हेक्टर |
प्रति बीघा |
प्रति कनाल |
बीज (किलो ग्राम) |
5ग्राम |
400ग्राम |
200ग्राम |
खाद एवं उर्वरक |
गोबर की खाद (क्विंटल ) |
100 |
8 |
4 |
विधि -1 |
यूरिया ( किलो ग्राम) |
200 |
16 |
8 |
सुपरफास्फेट ( किलो ग्राम ) |
300 |
25/td> |
12 |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) |
90 |
7 |
3.5 |
विधि- 2 |
12.32.16 मिश्रित खाद (किलो ग्राम ) |
157 |
12.5 |
6.3 |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) |
50 |
4 |
2 |
यूरिया ( किलो ग्राम) |
175 |
14 |
7 |
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बीजाई |
निचले क्षेत्र : |
फरवरी- मार्च,(सिंचित क्षेत्रा) |
मध्य क्षेत्र : |
मई-जून (असिंचित क्षेत्रा) |
ऊँचे क्षेत्र : |
अप्रैल |
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90 से 150 सै. मी. की दूरी पर तीन या चार बीज लगाएं और बाद में अंकुरण के बाद एक या दो स्वस्थ पौधे ही रखें । बीजाई से पहले बीज को 24 घण्टे पानी में भिगो लेना चाहिए। |
सस्य क्रि याएं:
जैद/जायद (बसन्त ग्रीष्म) की फसल लेने के लिए खेत की तैयारी तथा खादों का प्रयोग खीरे की फसल की तरह करें। पहले खेत में 45 सै. मी. चैड़ी नालियां 90 से 150 सै. मी. की दूरी पर बना लें। नालियों के दोनो तरफ बनी मेढ़ों की ढाल पर बीज की बोआई करें। इस प्रकार की बोआई से पौधें की सिंचाई भी सुचारू रूप से होती है। और नालियों के बीच स्थान पर इन्हें फैलने की जगह भी मिल जाती है। लताओं के नीचे लकडि़यो ;झांबे इत्यादिद्ध इस प्रकार रखें कि लताएं सीधे जमीन पर न फैलें जिससे वर्षा के पानी से पौधे और फल खराब न होने पाएँ ।
खरीफ पतझड़ की फसल के लिए अनुमोदित अन्तर पर लगभग 30 सै. मी. गहरे खड्डे बनाएं। इन खड्डों में ही गोबर की खाद तथा रसायनिक खादों को अच्छी तरह मिट्टी में मिला दें। इस फसल के लिए अच्छे सहारे (झांबे इत्यादि) का प्रयोग करें और कतारों के बीच रसायनों का छिड़काव करने के लिए भी पर्याप्त जगह रखे । जल निकासी का भी उचित प्रबन्ध् करें।
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अन्य सस्य क्रि याएं, सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई खीरे की फसल की भांति करें । |
तुड़ाई व उपज:
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बीजाई के लगभग 60-65 दिनों के बाद फलों की तुड़ाई आरम्भ हो जाती है। फलों की तुड़ाई नर्म तथा आकर्षक अवस्था में ही करें। 4 से 5 दिन के अन्तराल पर तुड़ाई करें। |
उपज: |
प्रति हैक्टेयर |
प्रति बीघा |
प्रति कनाल |
क्विंटल |
150 |
12 |
6 |
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