पार्सले
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यह अध्कितर सब्जियों को सुगन्ध्ति, सुशोभित करने व सलाद के लिए प्रयोग में लाई जाती है। यह भोजन पचाने तथा प्याज की गन्ध् कम करने में सहायता करता है। पार्सले विटामिन ‘ए’ व ‘सी’ कैल्शियम और प्रोटीन जैसे पोषक तत्वों का काफी अच्छा स्त्रोत है। इनके अतिरिक्त पोटाशियम, लोहा, सोडियम व फास्फोरस भी इसमें पाए जाते हंै । दिन प्रतिदिन बढ़ती हुई जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रदेश के मध्यवर्ती व ऊंचाई वाले क्षेत्रो का जलवायु इस फसल की खेती के लिए उपयुक्त है । |
किस्में:
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कर्लड लीफ, डबल कर्लड, मास कर्लड चैम्पियन |
निवेश सामग्री:
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प्रति हैक्टैयर |
प्रति बीघा |
प्रति कनाल |
बीज (ग्रा.) |
250 |
20 |
10 |
गोबर की खाद (क्विंटल ) |
150 |
12 |
6 |
विधि -1 |
यूरिया ( किलो ग्राम) |
120 |
9.5 |
4.5 |
सुपरफास्फेट ( किलो ग्राम ) |
240 |
19 |
9 |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) |
45 |
3.5 |
17 |
विधि- 2 |
12.32.16 मिश्रित खाद (किलो ग्राम ) |
125 |
10 |
5 |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) |
16 |
1.5 |
0.70 |
यूरिया ( किलो ग्राम) |
98 |
8 |
4 |
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नोट: गोबर की खाद खेत तैयार करते समय मिट्टी में मिलानी चाहिए । |
विधि1: रेापाई के समय सुपर फास्फेट व पोटाश की सारी मात्रा व यूरिया की आधी मात्रा खेतों में मिला लें। शेष यूरिया खाद को दो बार एक -एक महीने के अन्तराल पर डालें। |
विधि2: 12ः32ः16 मिश्रित खाद व म्यूरेट आफॅ पोटाश की सारी मात्रा खेत तैयार करते समय डालें। यूरिया खाद को दो बार एक-एक महीने के अन्तराल पर डालें। |
नर्सरी बीजाई का
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निचले क्षेत्र |
अक्तूबर |
मध्य क्षेत्र |
अगस्त-सितम्बर |
ऊंचे क्षेत्र |
मार्च -अप्रैल |
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पहले क्यारियां बना कर इसकी पौध् तैयार की जाती है। एक हैक्टेयर के लिए लगभग 40-45 वर्ग मीटर पौध् क्षेत्रा पर्याप्त होगा। बीजाई से पहले बीजों को 24 घण्टे तक पानी में भिगोना चाहिए । क्यारियों में बीजाई 5-7 सै. मी. की दूरी पर कतारों में करें। खाद उर्वरकों का प्रयोग पालक की फसल की तरह करें। |
बीजाई एवं रोपाई :
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पार्सले के पौध् की रोपाई समतल क्यारियों में 45*10 सैंटीमीटर के अन्तर पर करनी चाहिए। औसत उपज 100-125 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर (8-10 क्ंिवटल प्रति बीघा अथवा 4-5 क्ंिवटल प्रति कनाल) है। |
बीजोत्पादन:
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पर-परागित फसल होने के कारण शुद्व व उत्तम बीजोत्पादन के लिए अत्याध्कि सावधनी प्रयोग में लानी चाहिए क्योंकि पार्सले की किस्में दो प्रकार ही होती है । सीधे पत्तों वाली व मुड़े हुए पत्तों वाली । इसलिए बीजोत्पादान के लिए एक तरह के पत्तों वाली किस्मों के बीज 500 मीटर तथा सीधे व मुड़े हुए पत्तों वाली किस्मों में 1000 मीटर की दूरी रखनी चाहिए। अवांछनीय पौधें को समय-2 पर निकालते रहें।
पार्सले के बीज पकने पर आसानी से गिर जाते हैं, इसलिए बीजों के गुच्छों को पूर्णतः पकने से पहले काट लेना चाहिए । बीजों को अच्छी तरह साफ करके व सुखाकर भण्डारण करें। औसत बीज उपज लगभग 800 कि. ग्रा. प्रति हैक्टेयर (65 कि. ग्रा. प्रति बीघा) है।
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