फूलगोभी
फूल गोभी हिमाचल प्रदेश के ऊंचे व मध्य पर्वतीय क्षेत्रों की एक नकदी फसल है। ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में फूल गोभी बेमौसमी फसल के रूप में गर्मियों में उगाई जाती है।
उन्नत किस्में:
(अ) अगेती किस्में:
अरली कुंवारी : इसका फूल क्रीम रंग वाला व छोटे आकार का होता है। इसे जलवायु (20 डिग्री से 27 डिग्री) में उगाया जाता है। नर्सरी की बुआई मई में तथा पौध रोपण जून में किया जाता है। यह 60-70 दिन में तैयार व औसत उपज 60-90 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर ।
पूसा दीपाली: फूल का रंग सफेद व गठा हुआ । इसे गर्म व आर्द्र जलवायु (20 डिग्री से 25 डिग्री तक) में उगाया जाता है। नर्सरी की बुआई जून में व पौध् रोपण जुलाई में किया जाता है। औसत पैदावार 100-150 क्विंटल प्रति हैक्टेयर ।
इम्प्रूवड जापानी: फूल ठोस व सफेद रंग का, बीज जुलाई के मध्य में बोया जाता है व पौध् रोपण अगस्त के मध्य तक किया जाता है औसत उपज 200-225 क्विंटल प्रति हैक्टेयर।
पूसा स्नोबाल-1: यह शीतकालीन मौसम के लिए उपयुक्त है। इसके फूल बनने विकसित होने के 10-16 सेल्सियस तापमान आवयशक होता है। इसकी बोआई सितम्बर के मध्य से अक्तूबर के अन्त तक की जा सकती है। इसका फूल गठा हुआ मध्यम आकार का व बर्फ की तरह सफेद होता है। औसत पैदावार 150-200 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर।
पूसा स्नोबाल के-1ः इसका फूल बर्फ की तरह सफेद, गठा हुआ व अन्दर के फूल को ढकने वाला। लगभग 110-120 दिनों में तैयार। फूल बनने के लिए तापमान व बोने का समय पूसा स्नोबाल-1 जैसा । औसत उपज 175-210 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर।
पालम उपहार: पूसा स्नोवाल के-1 से 20-25 दिन पहले तैयार व अन्दर के पते फूल को ढक देते है, फूल सफेद रंग के व ठोस, ब्लैक राॅट व मश्दुरोमिल रोग (डाऊनी मिल्डयू) प्रतिरोधी । निचले व मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में बीज उत्पादन सम्भव, औसत उपज 225-250 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर ।
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निवेश सामग्री
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प्रति हेक्टर |
प्रति बीघा |
प्रति कनाल |
(बीज ग्राम) |
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अगेती किस्म |
750 |
60 |
30 |
पछेती किस्म |
500-625 |
40-50 |
20-25 |
गोबर की खाद (क्विंटल ) |
250 |
20 |
10 |
विधि -1 |
यूरिया ( किलो ग्राम) |
250 |
20 |
10 |
सुपरफास्फेट ( किलो ग्राम ) |
475 |
38 |
19 |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) |
120 |
10 |
5 |
विधि- 2 |
12.32.16 मिश्रित खाद (किलो ग्राम ) |
234 |
18.7 |
9.4 |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) |
55 |
4.3 |
2.2 |
यूरिया ( किलो ग्राम) |
210 |
16.8 |
805 |
स्टाम्प |
3 |
240 मि.ली . |
120 मि.ली . |
या |
लासो लीटर |
3 |
240 मि.ली . |
120 मि.ली . |
या |
गोल (मि. ली.) |
600 |
50 मि.ली . |
25मि.ली . |
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बीजाई व रोपाई:
फूल गोभी की पौध् नर्सरी में तैयार की जाती है। नर्सरी बीजाई का उचित समय इस प्रकार हैः
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निचले क्षेत्र |
मध्य क्षेत्र |
ऊंचे क्षेत्र |
अगेती |
जून-जुलाई |
अप्रैल-मई |
- |
मध्य ऋतू |
अगस्त-सितम्बर |
जुलाई-अगस्त |
- |
पछेती ऋतू |
अक्तूबर-नवम्बर |
सितम्बर |
अप्रैल-मई |
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जब पौध् 4-5 सप्ताह की हो जाए 10-12 सैं. मी. ऊंची) तो उसको समतल खेती में शाम के समय रोपाई करें। रोपण के तुरन्त पश्चात् सिंचाई कर दें। पौधें को निम्नलिखित दूरी पर लगाएं।
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अगेती प्रजातियां: |
45*30 सैं. मी. |
मध्य व पछेती प्रजातियां |
60*45 सैं. मी. |
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सस्य क्रियाएं:
विधि 1: खेत में हल चलाने के बाद गली-सड़ी गोबर की खाद व सुपर फास्फेट की पूरी मात्रा तथा यूरिया व म्यूरेट आॅफ पोटाश की आधी मात्रा पौध् की रोपाई करते समय डालें । यूरिया की चैथाई मात्रा रोपाई के एक महीने बाद व शेष यूरिया की चैथाई मात्रा तथा म्यूरेट आॅफ पोटाश की आधी मात्रा फूल बनने के समय दें।
विधि 2: गोबर की खाद 12ः32ः16 मिश्रित खाद व म्यूरेट आॅफ पोटाश की सारी मात्रा तैयार करते समय डालें। यूरिया खाद को दो बराबर हिस्सों में एक तिहाई-गुड़ाई के समय तथा दूसरी फूल आने के समय डालें। किसी भी खरपतवानाशक दवाई का छिड़काव पौध् रोपण से 1-2 दिन पहले कर दें । पत्तों में पीलापन आने पर युरिया ;100-150 ग्राम प्रति 10 ली. पानी मेंद्ध का स्प्रे करें । वर्षा ) में पौध् रोपण मेंढ़ों पर करें तथा पानी के निकास का विशेष ध्यान रखें । दो या तीन बार निराई-गुड़ाई करें। फूल बनना आरम्भ होने के समय पौधें में मिट्टी चढ़ाए। 7-10 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करते रहें।
कटाई:
जब फूल ठोस हों व पूरा आकार बना लें तो पौधे को जमीन की सतह से बड़े चाकू या दराती से काट लें। बाहरी पत्तों व तने को काट कर फूल को अलग कर लें।
उपज:
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प्रति हेक्टर |
प्रति बीघा |
प्रति कनाल |
अगेती प्रजातिया (क्विंटल ) |
100-150 |
8-12 |
4-6 |
पछेती प्रजातिया( क्विंटल ) |
150-225 |
12-18 |
6-9 |
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बीजोत्पादन:
फूल गोभी का तापमान के लिए अत्याध्कि सवेंदनशील होने के कारण इसकी सभी प्रजातियों का बीजोत्पाद हर जलवायु में नहीं किया जा सकता है। पछेती किस्मों का बीज प्रदेश की मध्य पर्वतीय क्षेत्रों के कुछ चुने हुए किस्मों (सोलन, कुल्लू तथा सिरमौर) में ही किया जाता है। अगेती व मध्यम किस्मों के बीज निचले पर्वतीय क्षेत्रो एवं मैदानी भागों में उत्पादित किए जाते हैं । फूल गोभी एक पर-परागी फसल है तथा अन्य सभी गोभी वर्गीय फसलों से भी इसका परपरागण हो जाता है। इसलिए प्रमाणित बीज उत्पादन के लिए, गोभी वर्गीय किन्हीं दो प्रजातियों के बीच कम से 1000-1600 मीटर का अन्तर होना आवश्यक है। उत्तम गुणवता का बीज पैदा करने के लिए अवांछनीय व रोगी पौधें को वनस्पति बढ़वार के समय फूल बनने के समय, फूल तैयार तथा फूलते समय निकाल देना चाहिए। बीज उत्पादन के लिए खाद व उर्वरक निम्न मात्रा में डालें।
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गोबर की खाद (क्विंटल ) |
100 |
8 |
4 |
विधि -1 |
यूरिया ( किलो ग्राम) |
300 |
24 |
12 |
सुपरफास्फेट ( किलो ग्राम ) |
625 |
50 |
25 |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) |
90 |
7 |
3.5 |
विधि- 2 |
12.32.16 मिश्रित खाद (किलो ग्राम ) |
312.5 |
25 |
12.5 |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) |
88 |
0.7 |
0.4 |
यूरिया ( किलो ग्राम) |
244 |
19.5 |
10 |
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विधि:1 गोबर की खाद, सुपर फास्फेट व म्यूरेट आॅफ पोटाश की पूरी मात्रा तथा यूरिया की एक-तिहाई मात्रा गोभी तैयार होने पर मिट्टी मे मिला दें। यूरिया की शेष मात्रा को दो बराबर हिस्सों में फूल-कल्ले निकलते समय तथा फूल बनते समय डालें।
विधि :2 गोबर की खाद 12ः32ः16 मिश्रित खाद व म्यूरेट आॅफ पोटाश की सारी मात्रा फूलगोभी तैयार होने पर मिट्टी में मिला दें। यूरिया खाद को दो बराबर हिस्सों में फूल-कल्ले निकलते समय तथा फूल बनते समय खेत में डाल दें।
समय-समय पर खरपतावार निकालते रहें। जब फलियां पीली पड़ जाएं और सूख जाएं तो उनके चटकने से पूर्व फसल की कटाई कर लें व सूखने के लिए रखें। पूरा सुखाने के बाद गहाई व सफाई करके बीज का भण्डारण करें। छोटे पौधें से तथा जिन पौधें में फूल जल्दी या देरी से निकलें, उन्हे बीज की फसल से निकाल दें।
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प्रति हेक्टर |
प्रति बीघा |
प्रति कनाल |
अगेती प्रजातियां किलो ग्राम |
500-600 |
40-48 |
20-24 |
पछेती प्रजातियां किलो ग्राम |
300-400 |
24-32 |
12-16 |
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