बन्दगोभी
बन्द गोभी ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों की एक प्रमुख नकदी फसल है। कुल्लू, सिरमौर, शिमला व मण्डी आदि के कुछ म ध्य क्षेत्रों में भी इसे बेमौसमी सब्जी के रूप में लगाया जाता है।
उन्नत किस्में:
गोल्डन एकड़: सभी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म, शीघ्र परिपक्व, पौध छोटा बाहरी खुले पते 4-5, गोल हरे व छोटे आकार के ठोस शीर्ष (हैड्ज) तथा सबसे अध्कि वांछनीय प्रजाति 60-70 दिनों में तैयार व औसत उपज 225-250 क्विंटल प्रति हैक्टेयर ।
पूसा मुक्ता: यह गोल, ठोस शीर्ष और आकर्षक हल्के रंग की किस्म है। यह 85-90 दिनों में तैयार हो जाती है। और प्राइड आॅफ इण्डिया से 7 दिन पहले तैयार हो जाती है । गर्मियों की फसल में 200 क्विंटल और सर्दियों की फसल में 300 क्ंवटल प्रति हैक्टेयर के लगभग उपज मिलती है। यह प्रदेश के क्षेत्रा-2 और क्षेत्रा-3 में लगाने के लिए गर्मियों के लिए उपयुक्त है।
प्राइड आॅफ इण्डिया: गोल्डन एकड़ से लगभग एक सप्ताह पछेती, पौध छोटा लगभग गोल हरे व छोटे से मध्य आकार के ठोस शीर्ष (हैड्स) अध्कि वांछनीय प्रजाति औसत उपज 250-300 क्विंटल प्रति हैक्टयेर ।
पूसा ड्रम हैड: पछेती प्रजाति, मध्य लम्बाई वाला तना, चपटे हरे व बड़े आकार के ठोस शीर्ष, उपज अध्कि परन्तु उपभोक्ता कम पसन्द करता है । औसत उपज 375-435 क्ंिवटल प्रति हैक्टयेर ।
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निवेश सामग्री
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प्रति हेक्टर |
प्रति बीघा |
प्रति कनाल |
(बीज ग्राम) |
500-700 |
40-55 |
20-28 |
गोबर की खाद (क्विंटल ) |
200 |
16 |
8 |
विधि -1 |
यूरिया ( किलो ग्राम) |
250 |
20 |
10 |
सुपरफास्फेट ( किलो ग्राम ) |
675 |
50 |
25 |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) |
85 |
7 |
3.5 |
विधि- 2 |
12.32.16 मिश्रित खाद (किलो ग्राम ) |
281 |
22.5 |
11.3 |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) |
88 |
0.70 |
0.40 |
यूरिया ( किलो ग्राम) |
600 |
16 |
8 |
स्टाम्प |
3 |
240 मि.ली . |
120 मि.ली . |
या |
वेसलिन लीटर |
2 |
160 मि.ली . |
80 मि.ली . |
या |
गोल (मि. ली.) |
600 |
50 मि.ली . |
25मि.ली . |
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बीजाई व रोपाई:
सबसे पहले बंदगोभी की पौध् तैयार की जाती है। नर्सरी बीजाई का उचित समय इस प्रकार है:
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निचले क्षेत्र |
अगस्त-सितम्बर |
मध्य क्षेत्र |
अगस्त-सितम्बर, फरवरी-मार्च |
ऊंचे क्षेत्र |
अप्रैल-जून |
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जब पौध् 4-5 सप्ताह की (10-12 सैंटीमीटर ऊंची) हो जाए तो उसको समतल खेत में रोपाई कर दें। रोपण के पश्चात तुरन्त सिंचाई कर दें। पौधें को निम्नलिखित दूरी पर लगाएं
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अगेती प्रजातिया (क्विंटल ) |
45*30से .मी . |
पछेती प्रजातिया( क्विंटल ) |
60*45से. मी . |
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सस्य क्रि याएं:
विधि1: खेत को अच्छी तरह जोत लें तथा गोबर की खाद, सुपर फासॅफेट व म्यूरेट आफॅ पोटाश की पूरी मात्रा तथा यूरिया की एक तिहाई मात्रा खेत तैयार करते समय डाल दें। यूरिया की शेष मात्रा को रोपाई के एक महीने बाद व शीर्ष क्रि या आरम्भ होने पर डालें।
विधि2: गोबर की खाद, 12ः32ः16 मिश्रित खाद व म्यूरेट आफ पोटाश की सारी मात्रा खेत तैयार करते समय डालें। यूरिया खाद को दो बराबर हिस्सों में एक निराई-गुड़ाई के समय तथा दूसरी शीर्ष आने के समय डालें।
किसी भी एक खरपतवारनाशी दवाई का छिड़काव, रोपाई के 1-2 दिन पहले कर दें स्टाम्प का रोपाई के बाद भी छिड़काव किया जा सकता है। बंदगोभी की जड़ें कम गहरी होती हैं इसलिए पौधें के चारों ओर मिट्टी चढ़ाना लाभदायक रहता है। यदि पत्तों पर पीलापन दिखाई दे तो यूरिया (100-150 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) का छिड़काव करें। यदि खरपतवारनाशी दवाई का छिड़काव न किया गया हो तो निराई-गुड़ाई पर विशेष ध्यान दें । वर्षा )ऋतू में पौधें के पत्तों व शीर्ष पर घोघें अथवा स्नेलज (फिल्ले) चढ़ जाती हैं। जिसके कारण बंदगोभी के शीर्ष बाहर से गंदे हो जाते हैं तथा उपभोक्ता ऐसे शीर्षो को पसन्द नहीं करते हैं। फिटकड़ी के घोल (200 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में) का छिड़काव करने से घोंघे पौधें पर नहीं चढ़ते है। सिंचाई आवश्यकतानुसार करते रहें।
कटाई:
ठोस फूलों को जमीन की सतह से चाकू या दराती से काट लें। खुले पत्तों और तने को काट कर शीर्ष को अलग कर लें। यदि विपणन मंडी दूर स्थित हो तो कुछ बाहरी खुले पत्तों को शीर्ष के साथ रहने दें ताकि परिवहन के समय शीर्षो को कम क्षति पहुंचे ।
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प्रति हेक्टर |
प्रति बीघा |
प्रति कनाल |
अगेती प्रजातिया (क्विंटल ) |
250-300 |
20-24 |
10-12 |
पछेती प्रजातिया( क्विंटल ) |
400-500 |
32-40 |
16-20 |
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बीजोत्पादन:
बन्दगोभी समशीतोष्ण फसल है तथा अच्छा बीज तैयार करने के लिए फूल डंठल निकले व बीज के फूलों के निकलने तक ठंड तापमान 7 डिग्री सेल्सियस से कम की आवश्यकता होती है जो केवल ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों (किन्नौर, भरमौर, लाहौल घाटी, ऊपरी कुल्लू घाटी आदि) में ही मिल पाता है। बन्दगोभी परपरागी फसल है तथा अन्य गोभीवर्गीय सब्जी फसलों के साथ भी इसका परपरागण हो जाता है। इसलिए प्रमाणित बीज उत्पादन के लिए, गोभी वर्गीय किन्हीं भी दो प्रजातियों के बीच कम से कम 1000 मीटर का अन्तर अवश्य रखें । बीज उत्पादन के लिए उचित समय पर नर्सरी बीजाई व पौध् रोपाई का अत्यन्त महत्व है क्योंकि ठोस शीर्ष हैड्ज) बर्फ पड़ने से पहले ही बन जाने चाहिए। अनुमोदित समय इस प्रकार है: |
नर्सरी बीजाई रोपाई |
अगेती प्रजातियां |
जुलाई |
अगस्त |
पछेती प्रजातियां |
जून |
जुलाई |
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नौहराधर (सिरमौर) व कटराई (कुल्लू घाटी) क्षेत्रों में शीर्षो को खेत में ही रहने दिया जाता है परन्तु लाहौल व किन्नौर आदि क्षेत्रों में जहां बर्फ बहुत अध्कि पड़ती है, शीर्षो को 2ग1ग1 मीटर की नाली या खाती में, बाहर के खुले पत्तों को निकाल कर एक परत के रूप मे रखा जाता है तथा दोनों ओर वायु के आगमन के लिए छिद्र रखे जाते हैं। बर्फ पिघलने पर (मार्च-अप्रैल) इन शीर्षो की पुनः खेत में रोपाई की जाती है। शीर्षो पर बसन्त )ऋतू के आरम्भ में चाकू से क्रास कट (लगभग 3 सैंटीमीटर गहरा) लगाने से फूल डंठल शीघ्र निकल आते है। खाद व उर्वरक निम्न मात्रा में डालें:
निवेश सामग्री
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गोबर की खाद (क्विंटल ) |
200 |
13 |
8 |
विधि -1 |
यूरिया ( किलो ग्राम) |
250 |
20 |
20 |
सुपरफास्फेट ( किलो ग्राम ) |
625 |
50 |
25 |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) |
80 |
7 |
3.5 |
विधि- 2 |
12.32.16 मिश्रित खाद (किलो ग्राम ) |
313 |
25 |
12.5 |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) |
- |
- |
- |
यूरिया ( किलो ग्राम) |
190 |
15.2 |
7.5 |
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विधि1: गोबर की खाद, सुपर फास्फेट व म्यूरेट आफॅ पोटाश की पूरी मात्रा तथा यूरिया की एक-तिहाई मात्रा बन्द गोभी तैयार होने पर मिट्टी में मिला दें। यूरिया की शेष मात्रा को दो बराबर हिस्सों में फूल-कल्ले निकलते समय तथा फूल बनते समय डालें ।
विधि2: गोबर की खाद, 12ः32ः16 मिश्रित खाद की सारी मात्रा बन्दगोभी तैयार होने पर मिट्टी मे मिला दें । यूरिया खाद को बराबर हिस्सों में फूल-कल्ले निकलते समय तथा फूल बनते समय खेत में डाल दें । अवांछनीय पौधें का निष्कासन (रोगिंग) वनस्पतिक वृद्वि, शीर्ष बनने पर तथा पुष्पन अवस्था में करें । समय-समय पर खरपतवार निकालते रहें तथा आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें । जब फलियां भूरे-पीले रंग की हो जाएं तो शाखा सहित काट लें तथा पूर्ण परिपक्व होने के लिए लगभग एक सप्ताह तक ढेरों में रखें तथा 2-3 दिन के अन्तर पर टहनियां को ऊपर नीचे करते रहें। पूरा सूख जाने पर बीज को अलग करके सुखा लें ।
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प्रति हेक्टर |
प्रति बीघा |
प्रति कनाल |
अगेती प्रजातियां किलो ग्राम |
500-600 |
40-48 |
20-24 |
पछेती प्रजातियां किलो ग्राम |
700-750 |
50-60 |
28-30 |
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