मेथी
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यह भी मुख्य पत्तेदार सब्जी है और इसमें अध्कि मात्रा में विटामिन ए एवं सी पाया जाता है। इसके बीज भी मसाले के लिए उपयोग में लाये जाते हैं।
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पालम सौम्यः यह शीघ्र तैयार होने वाली किस्म है। इसकी औसतन हरी उपज 74 किवटल प्रति हैक्टेयर है जो 55-60 दिनों में तैयार हो जाती है बीज की उपज 15-20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है जो 175-180 दिनों में तैयार होती है। पौधे मध्यम उंचाई के रहते है और शीघ्र बढ़ते हंै । मसाले के रूप में उपयोग के लिए यह एक अच्छी किस्म है । |
पूसा कसूरी: इसके पौधे मध्यम उंचाई के रहते है और झाड़ की तरह बढ़ते हैं। इसकी औसत हरी उपज 2-3 कटाई में 90-100 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर रहती है जो 50-60 दिन में तैयार हो जाती है। |
उन्नत किस्मे
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कसूरी मेथीः पौधे नीचे बिछने या फैलने वाले, पत्ते नर्म एवं अध्कि खुशबूदार, छोटे बीज वाली किस्म। पत्तों को सुखाकर मसाले के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। औसत हरी उपज 60-75 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर ।
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आई सी-74: पौधे सीधे, पत्ते नर्म तथा बड़े बीज की किस्म । बीजों को पीसकर मसाले के लिए भी उपयोग में लाया जाता है। औसत हरी उपज 75-100 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर । |
निवेश सामग्री:
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बीज (कसूरी)(किलो ग्राम) |
15 |
1.2 |
600गा्. |
बीज ( आई.सी.-74)(किलो ग्राम) |
20 |
1.6 |
800गा्. |
गोबर की खाद (क्विंटल ) |
100 |
8 |
4 |
विधि -1 |
यूरिया ( किलो ग्राम) |
60 |
5 |
2.5 |
सुपरफास्फेट ( किलो ग्राम ) |
250 |
20 |
10 |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) |
75 |
6 |
3 |
विधि- 2 |
12.32.16 मिश्रित खाद (किलो ग्राम ) |
125 |
10 |
5 |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) |
42 |
3.5 |
1.7 |
यूरिया ( किलो ग्राम) |
33 |
2.6 |
1.3 |
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बीजाई का समय:
निचले क्षेत्र |
अगस्त-नवम्बर |
मध्य क्षेत्र |
अगस्त-अक्तूबर |
ऊंचे क्षेत्र |
अप्रैल-जुलाई |
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बीजाई 25-30 सैंटीमीटर की दूरी पर कतारों में करें। |
सस्य क्रियाएं:
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सभी क्रियाएं पालक की फसल की तरह ही करें। अकुंरण के 10-15 दिन पश्चात ज्यादा घने पौधें को निकालकर 4-5 सैंटीमीटर की दूरी रखें। |
कटाई व उपज:
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पहली कटाई बीजाई के 25-30 दिनों के बाद की जाती है। जमीन से लगभग 2 सैंटीमीटर की ऊंचाई पर फसल को काट लिया जाता है। अगली कटाईयां 15-20 दिन के अन्तराल पर की जाती है। एक फसल की अवध् िमें चार या पांच कटाईयां आसानी से ली जाती है । |
बीजोत्पादन:
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यह एक स्वयं परागित फसल है अतः मेथी की दो किस्मों के बीच केवल 25 मीटर का फासला पर्याप्त है। एक या दो कटाईयां करने के बाद फसल बीजोत्पादन के लिए छोड़ दी जाती है। अवाँछनीय पौधें को फूल आने से पहले, फूल आने पर तथा फलियों के विकास के समय अवश्य निकालें । फलियों के पकने पर फसल काट लें और धूप में सुखाने के बाद बीज निकाला जाता है। बीज की नमी सुखाने के बाद सुरक्षित स्थान पर भण्डारण करें । |
बीज उपज: |
प्रति हैक्टैयर |
प्रति बीघा |
प्रति कनाल |
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6-8 क्ंिवटल |
48-64 कि. ग्रा. |
24-32 कि. ग्रा. |
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