सब्जी उत्पादन सम्बन्धी वार्षिक कार्य रूपरेखा |
जनवरी
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निचले क्षेत्र
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1. प्याज की तैयार पनीरी को 15*10 सैं. मी. की दूरी पर खेतों में लगायें।
2. मूली तथा शलगम की बीज वाली फसल में यूरिया की दूसरी मात्रा डालें। शलगम 5 कि. ग्रा/बीघा तथा मूली 8 कि. ग्राम प्रति बीघा।
3. कद्दू, खीरे, करेले को पाॅलीथीन लिफाफों में (मिट्टी, रेत तथा गोबर का मिश्रण) (1ः1ः1) बुआई करें।
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मध्यवर्ती क्षेत्र
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1. बीज वाली फूलगोभी में नत्राजन उर्वरक की तीसरी मात्रा डाले और बोरिक एसिड 0.1 प्रतिशत (100 ग्राम/100 लीटर पानी) का छिड़काव करें। तना सड़न रोग की रोकथाम के लिए डायथेन एम-45 (250 ग्राम) व बैविस्टीन (50 ग्राम) प्रति 100 लीटर पानी का छिड़काव करें। मूली और बीज फसल में नत्राजन उर्वरक की दूसरी मात्रा डालें। मटर में जीवाणु रोग की रोकथाम के लिए स्ट्रेप्टोसाईक्लीन (10 गा्रम/100 ली. पानी)का छिड़काव करें। |
ऊंचे क्षेत्र
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1. बर्फ पिघलने के बाद मार्च में कार्यक्रम शुरू होता है। |
फरवरी
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निचले क्षेत्र
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1. टमाटर, शिमला मिर्च, कड़वी मिर्च की पनीरी की क्यारियों में बीजाई मिट्टी के उपचार उपरान्त ही करें।
2. पालक (पूसा हरित, बैनर्जी जायन्ट, लौंग स्टैडिंग किस्मों) की बीजाई करें । प्याज की खड़ी फसल में नत्राजन की दूसरी मात्रा डालें (5 कि. ग्रा. यूरिया /बीघा) ।
3. भिण्डी (पंजाब-8) किस्म की बुआई 30-45*15 सैं. मी. की दूरी पर करें।
4. फ्रासबीन (कंटेण्डर या प्रीमीयर या बी. एल. बोनी) किस्मों की बीजाई 45*15 सैं. मी. दूरी पर करें।
5. खीरे, कद्दू करेले इत्यादि कद्दू सब्जियों की बीजाई करें।
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मध्यवर्ती क्षेत्र
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1. मटर की नत्राजन खाद (2 कि. ग्रा यूरिया/बीघा) की दूसरी मात्रा डालें । चूर्ण फफूंदी रोग की रोकथाम के लिए कैराथेन (950 मि. ली./100 ली. पानी) या सल्फेक्स (200 ग्राम प्रति 100 ली. पानी) के घोल का छिड़काव करें। जीवाणु झुलसा रोग को रोकने के लिए उपरोक्त फफूंदनाशक दवाई में स्ट्रेप्टोसाईक्लीन (10 ग्राम प्रति 100 लीटर परनी) डालें व छिड़काव करें।
2. फूलगोभी की बीज वाली फसल में तना सड़न रोग की रोकथाम के लिए डायथेन एम-45 (250 ग्रामद्ध$बैविस्टीन/मैविस्टीन (50 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी) का छिड़काव करें।
3. टमाटर की पौध् के लिए बीजाई करें।
4. प्याज में यूरिया खाद की दूसरी मात्रा डालें(5 कि. ग्रा. यूरिया/बीघा)।
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ऊंचे क्षेत्र
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अरकल मटर की बीजाई करें। फरवरी के मध्य, मौसम ठीक होते ही बीजाई करें। |
मार्च
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निचले क्षेत्र
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1. टमाटर, शिमला मिर्च और कड़वी मिर्च की तैयार पनीरी को खेतों में रोपाई करें।
2. पालक में यूरिया खाद की दूसरी मात्रा (6 कि. ग्रा. यूरिया/बीघा) डालें।
3. बैंगन, शिमला मिर्च की पनीरी डालें।
4. खीरा, कद्दू और करेला की खड़ी फसल में नत्राजन खाद की दूसरी मात्रा डालें (4 कि. ग्रा. यूरिया /बीघा)। जहां पर फरवरी में इनकी बीजाई न की हों, अब बीजाई करें।
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मध्यवर्ती क्षेत्र
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1. टमाटर की अनियमित ऊंचाई वाली किस्मों की 90ग30 सैं. मी. नियमित ऊंचाई वाली किस्मों की 60*45 सैं. मी. की दूरी पर रोपाई करें।
2. शिमला मिर्च, कड़वी मिर्च और बैंगन की पनीरी डालें।
3. प्रासबीन की बौनी किस्मों की 45*15 सैं. मी. की दूरी पर बुआई करे ।
4. बीज वाली फूलगोभी की फसल पर तेले और लाल चींटी की रोकथाम के लिए 1.25 कि. ग्राम प्रति बीघा फोरेट या थिमेट पौधें के इर्द-गिर्द डालें या मैटासिस्टाॅक्स (100 मि. ली. /100 ली. पानी) का छिड़काव करें। तना तथा फूल सड़न रोकने के लिए बीज वाली फसल में मैनकोजैब (0.25 प्रतिशत), स्ट्रैप्टोसाईक्लीन (0.1 प्रतिशत), कार्बेण्डाजिम (0.05 प्रतिशत) के मिश्रण का छिड़काव करें। ।
5. मटर के चूर्ण फफूंद की रोकथाम उपरोक्त दवाई से करें।
6. सुंरगी कीट (लीफ माईनर) की रोकथाम के लिए मैलाथियाॅन या फैनिट्रोथियाॅन (100 मि. ली./100 ली. पानी) का छिड़काव करें।
7. खीरे, करेले और कद्दू की बीजाई करें।
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ऊंचे क्षेत्र
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1. फूलगोभी, बन्दगोभी, गांठगोभी, सलाद, सरसों, टमाटर, शिमला मिर्च की पनीरी तैयार करें।
2. मूली, शलगम और गाजर की 30*10 सैं. मी. की दूरी पर बीजाई करें।
3. पालक (30*7.5 सैं. मी. फासला) तथा मेथी(15*7.5 सैं. मी. फासला) की बीजाई करें।
4. अरकल मटर की बीजाई करें।
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अप्रैल
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निचले क्षेत्र
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1. टमाटर, शिमला मिर्च में (5 कि.ग्रा/बीघा) तथा कड़वी मिर्च में (4 कि. ग्रा/बीघा) यूरिया खाद की दूसरी मात्रा डालें।
2. खीरा, करेले (4 कि. ग्रा./बीघा) तथा कद्दू (3 कि. ग्रा. /बीघा) में यूरिया खाद की दूसरी मात्रा डालें।
3. बैंगन की पौध् की रोपाई 60*45 सैं. मी. की दूरी पर करें।
4. मार्च में बोई गई भिण्डी (3 कि. ग्रा/बीघा), फ्रासबीन (2 कि. ग्रा/बीघा) की खड़ी फसल मे यूरिया खाद की दूसरी मात्रा डालें।
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मध्यवर्ती क्षेत्र
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1. टमाटर, शिमला मिर्च, कड़वी मिर्च तथा बैंगन की तैयार पौध् की रोपाई करें।
2. खीरा, करेले तथा कददू पाॅलीथीन लिफाफों में तैयार किये गये पौधें को खेतों में लगाये ।
3. टमाटर की खड़ी फसल में नत्राजन खाद की दूसरी मात्रा (5 कि. ग्रा. यूरिया/बीघा) डालें।
4. शिमला मिर्च की तैयार पनीरी को 60*45 सैं. मी. की दूरी पर लगायें।
5. पछेती फसल तैयार करने के लिए टमाटर, शिमला मिर्च, कड़वी मिर्च तथा बैंगन की पनीरी तैयार करें।
6. भिण्डी और फ्रांसबीन (बौनी किस्मों) की बीजाई करें।
7. बीज वाली फूलगोभी में तना सड़न और काली सड़न रोग की रोकथाम के लिए डायथेन एम-45/मास एम-45 (0.25 प्रतिशत), बैविस्टीन/मैविस्टीन (0.05 प्रतिशत) तथा स्ट्रैप्टोसाईक्लीन (0.01 प्रतिशत) का घोल का 15 दिन के अन्तर पर छिड़काव करें।
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ऊंचे क्षेत्र
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1. खीरा (5कि. ग्रा./बीघा) करेला (6कि. ग्रा./बीघा) और कद्दू (8कि. ग्रा. /बीघा) में यूरिया खाद की तीसरी मात्रा डालें।
2. कड़वी मिर्च की पनीरी डालें।
3. यूरोपियन प्रजातीय मूली और शलगम की बीज वाली फसल की तुड़ाई व गहाई करें।
4. मटर की बीजाई करें।
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मई
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निचले क्षेत्र
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1. खीरा (5कि. ग्रा./बीघा) करेला (6कि. ग्रा./बीघा) और कद्दू (8कि. ग्रा./बीघा) में यूरिया खाद की तीसरी मात्रा डालें।
2. कड़वी मिर्च की पनीरी डालें।
3. एशियन प्रजातीय मूली और शलगम की बीज वाली फसल की तुड़ाई व गहाई करें।
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मध्यवर्ती क्षेत्र
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1. भिण्डी की बीजाई 60*20 सैं. मी. दूरी पर करें।
2. टमाटर, शिमला मिर्च, कड़वी मिर्च तथा बैंगन में क्रमशः 5,5,4 तथा 2 कि. ग्रा. यूरिया ,खाद प्रति बीघा डालें।
3. फ्र ासबीन, खीरा, करेला और कद्दू की खेतों में बीजाई करें।
4. अदरक की बीजाई 3*1 मीटर आकार की तथा 15-20 सैं. मी. की ऊंची क्यारियों मे 30ग20 सैं. मी. की दूरी पर करें। बीजाई वाली गट्ठियों का उपचार डायथेन एम-45/मास एम-45 250 ग्राम तथा बैविस्टीन/मैविस्टीन 100 ग्राम को 100 ली. पानी के घोल में एक घंटे तक उपचारित करने के बाद गट्ठियों को छाया में सुखायें, फिर बीजाई कर दें।
5. टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च तथा कड़वी मिर्च की तैयार पौध् अगर लगाने के लिए रह गई हो तो खेतों में लगायें।
6. नये पौधें को कटुवा कीड़े से बचाने के लिए खेतों में 2 प्रतिशत फोलीडाल या मैलाथियान धूल 1.5 या 2 कि. ग्रा. प्रति बीघा के हिसाब से खेतों में रोपाई से पहले डालें या फिर पौध्े के आसपास गोलाई में डालें।
7. गोभी की बीज वाली फसल में तना सड़न रोग तथा तेले की रोकथाम के लिए उपरोक्त छिड़काव करें।
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ऊंचे क्षेत्र
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1. खीरे की बीजाई करें।
2. फ्रासबीन की बौनी तथा गोल वाली किस्स्मों की बीजाई करें।
3. मटर की बौनी किस्म ;अरकलद्ध की बीजाई 30*7.5 सैं. मी. की दूरी पर करें।
4. मूली, गाजर तथा शलगम की बीजाई करें।
5. पालक तथा मेथी की बीजाई करें।
6. अप्रैल महीने में लगाई गई सब्जियों में यूरिया खाद की दूसरी मात्रा डालें।
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जून
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निचले क्षेत्र
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1. बरसाती फसल के लिए टमाटर, बैंगन और तेज मिर्च की पनीरी डालें।
2. अदरक की गट्ठी सड़न रोग से उपचारित गट्ठियों को 3*1*0.20 सैं. मी. मीटर आकार की क्यारियों में 30*20 सैं. मी. पर बीज बोजें। |
मध्यवर्ती क्षेत्र
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1. बेल वाली फ्रासबीन (कैन्चुकी वन्डर, एस. वी. एम., लक्ष्मी) की बीजाई 90*15 सैं. मी. की दूरी पर करें।
2. टमाटर, शिमला मिर्च (5 कि. ग्रा./बीघा) बैंगन (3 कि.ग्रा/बीघा) तथा तेज मिर्च (4 कि. ग्रा/बीघा) की खड़ी फसल में यूरिया खाद की तीसरी मात्रा डालें।
3. देर से पकने वाली फूलगोभी के बीज को साफ तथा सुखाकर सुरक्षित जगह पर भण्डारण करें।
4. टमाटर में फल छेदक कीड़े का नियन्त्राण करने के लिए जब टमाटर लगभग 2 से 3 सैं. मी. व्यास का हो तो इन फलो पर सेविन (200 ग्राम) या एंडोसल्फान (80 मि. ली.) को 100 लीटर पानी में मिलाकर 15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करें।
5. बैंगन के टहनी एवं फल छेदक कीड़े तथा कद्दू के लाल बीटल की रोकथाम के लिए एंडोसल्फान/थायोडान (140 मि.ली. /100 ली. पानी) का छिड़काव करें।
6. खीरे तथा करेले में नत्राजन खाद की दूसरी मात्रा डालें (5 कि. ग्रा. यूरिया/बीघा)।
7. अदरक में नत्राजन खाद की पहली मात्रा (5 कि. ग्रा. यूरिया/बीघा) डालें।
1. टमाटर के फल सड़न रोग तथा शिमला मिर्च के झुलसा तथा फल सड़न रोग के लिए डायथेन एम-45 या मास एम-45 (250 ग्राम/100 लीटर पानी) या ब्लाईटाक्स/मासटाक्स-50 (300 ग्राम/100 लीटर पानी) का 7-10 दिन के बाद छिड़काव करें।
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ऊंचे क्षेत्र
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1. बेल वाली फ्रासबीन की बीजाई 90*15 सैं. मी. पर करें।
2. टमाटर, शिमला मिर्च, फूलगोभी, बन्दगोभी, शलगम तथा गाजर में नत्राजन खाद की दूसरी मात्रा डालें।
3. तैयार मटर और फ्रासबीन को तोड़कर बाजार में भेजे ।
4. एक वर्षीय मूली की जड़ों को बीज के लिए खेतों में 60*30 सैं. मी. के फासले पर लगायें तथा पानी से सींचें।
5. फूलगोभी, बन्दगोभी तथा गांठगोभी की पनीरी तैयार करें।
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जुलाई
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निचले क्षेत्र
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1. टमाटर, बैंगन तथा तेज मिर्च की रोपाई करें।
2. खरीफ में लगने वाले प्याज (एन-53 तथा एग्रीफाउण्ड डार्क रैड) की पनीरी के सेट तैयार करें।
3. अगेती फूलगोभी (पूसा कातकी तथा अर्ली कुन्वारी) की पनीरी तैयार करें।
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मध्यवर्ती क्षेत्र
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1. मध्य )ऋतू की फूलगोभी (पटना स्नोवाल तथा जाइन्ट स्नोवाल) की पनीरी तैयार करें।
2. मूली तथा शलगम की बीजाई करें।
3. टमाटर तथा शिमला मिर्च के फल सड़न तथा पत्तों पर ध्ब्बा रोग की रोकथाम करें।
4. टमाटर के फल छेदक कीड़े का नियन्त्राण करें।
5. टमाटर, शिमला मिर्च, कड़वी मिर्च, बैंगन तथा खीरे में नत्राजन खाद की मात्रा डालें (5 कि. ग्रा. यूरिया/बीघा)
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ऊंचे क्षेत्र
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1. शलगम तथा मूली की बीजाई करें।
2. गांठगोभी और बन्दगोभी की तैयार पौध् को खेतों में 60*45 सैं. मी. के फासले पर लगायें तथा पानी दें।
3. मटर व फ्रासबीन की तैयार फलियों को तोड़कर मण्डियों में भेजें।
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अगस्त
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निचले क्षेत्र
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1. खरीफ प्याज की तैयार पनीरी को 15ग10 सैं. मी. की दूरी पर लगायें।
2. मध्य )ऋतू की फूलगोभी (पटना स्नोवाल तथा जाइन्ट स्नोवाल) की पनीरी तैयार करें।
3. अदरक में यूरिया की दूसरी मात्रा 5 कि. ग्रा. 45*30 सैं. मी. की दूरी पर करें।
4. अदरक में यूरिया की दूसरी मात्रा (5 कि. ग्रा/बीघा) खड़ी फसल मे डालें।
5. बन्दगोभी (प्राइड आफॅ इण्डिया, गोल्डन एकड़ तथा संकर किस्मों) की पनीरी लगायें।
6. गाजर की बीजाई 30*10 सैं. मी. की दूरी पर करें।
7. मटर की अगेती किस्म की बीजाई (अरकल, बी. एल. -7 तथा मटर अगेता)30*7.5 सैं. मी. की दूरी पर करें।
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मध्यवर्ती क्षेत्र
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1. फ्रासबीन की बुआई (कन्टेडर, प्रीमीयर, बी. एल. बौनी-7) 45*15 सैं. मी. की दूरी पर करें।
2. मूली, शलगम तथा गाजर की बीजाई 30*10 सैं. मी. की दूरी पर करें।
3. टमाटर में फल सड़न रोकने के लिए जमीन से 15-20 सैं. मी. ऊंचाई तक स्वस्थ तथा पीले पत्तों को निकाल दें तथा पौधें पर मेन्कोजेब (250 ग्राम) या रिडमिल एम जैड (250 ग्राम) को 100 लीटर पानी के घोल का 8-10 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करें।
4. शिमला मिर्च तथा कड़वी मिर्च में फल सड़न तथा पत्तों का झुलसा रोकने के लिए 7-10 दिनों के अन्तराल पर बोर्डो मिश्रण 0.8 प्रतिशत (800 ग्राम नीला थोथा$800 गा्रम अनबूझा चूना$100 लीटर पानी या ब्लाईटाक्स या मासटाक्स (300 ग्राम/100 लीटर पानी का छिड़काव करें।
5. मेथी और पालक की बीजाई करें।
6. फूलगोभी, बन्दगोभी तथा गांठगोभी की पनीरी डालें। 7. अरकल मटर की बीजाई करें।
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ऊंचे क्षेत्र
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1. मूली तथा शलगम की बीजाई करें।
2. टमाटर, शिमला मिर्च के तैयार फलों को मण्डियों में भेंजे।
3. खीरे का तुड़ान करें।
4. फूलगोभी और बन्दगोभी का तुड़ान करें।
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सितम्बर
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निचले क्षेत्र
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1. बन्दगोभी की 45*45 सैं. मी. व गाठगोभी 30*20 सैं. मी. की दूरी पर तैयार पनीरी की रोपाई करें।
2. मूली, शलगम, मेथी तथा पालक की बीजाई करें।
3. बैंगन की पनीरी तैयार करें।
4. मूली, शलगम, मेथी, पालक, चाईना सरसों की बीजाई करें।
5. अगस्त मास में लगाई गई मध्य )ऋतू की फूलगोभी, गाजर, मटर तथा खरीफ प्याज में केन की दूसरी मात्रा डालें।
6. अरकल मटर की बीजाई करें
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मध्यवर्ती क्षेत्र
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1. पछेती फूलगोभी (पूसा स्नोवाल-1, के -1) तथा अन्य कोल परिवार की सब्जियों व बीज वाली फसल की पनीरी तैयार करें। बीज का उपचार करें। बीज का 30 मिनट के लिए गर्म पानी (50 डिग्री से. ग्रे. तापमान) में रखें। इतने ही समय स्ट्रेप्टोसाईक्लीन (1 ग्राम/10 लीटर पानी) मिश्रण में रखें। यह विधि केवल विश्वविद्यालय प्रयोगशाला में निःशुल्क हो सकती है। किसान घर पर नहीं कर सकता । फूल बनने पर 15 दिन के अन्तराल पर स्ट्रेप्टोसाईक्लीन (1 ग्राम/10 लीटर पानी) का छिड़काव करें। इस उपचार से काली सड़न रोग की रोकथाम हो जाती है।
2. मटर की अगेती किस्मों (अरकल, बी. एल.-7 व मटर अगेता) की बीजाई 30*7.5 सैं. मी. पर करें।
3. टमाटर का पछेता झुलसा रोकने के लिए डायथेन एम-45/मास एम-45 (250ग्राम/100 लीटर पानी) या ब्लाईटाक्स (300 ग्राम/100 लीटर पानी) का छिड़काव करें।
4. शिमला मिर्च तथा कड़वी मिर्च में एन्थ्रेक्नोज की रोकथाम के लिये बैविस्टीन/मैविस्टीन ;50 ग्राम/100 लीटर पानीद्ध का छिड़काव करें।
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ऊंचे क्षेत्र
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1. टमाटर, शिमला मिर्च तथा खीरे का तुड़ान करके मण्डियों में भेजें।
2. प्याज की गांठों को उखाड़ कर सुखायें और मण्डियों में भेजें।
3. फूलगोभी और बन्दगोभी का तुड़ान करें।
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अक्तूबर
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निचले क्षेत्र
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1. पछेती फूलगोभी (पूसा स्नोवाल-1 और के-1) की नर्सरी में उपचारित बीज से बीजाई करें।
2. बन्दगोभी (प्राइड आफ इण्डिया तथा गोल्डन एकड़)की नर्सरी डालें।
3. मूली, शलगम, मेथी, पालक की बीजाई करें।
4. बैंगन की नर्सरी तैयार करें।
5. बन्दगोभी तथा गांठगोभी की पनीरी खेतों में लगायें।
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मध्यवर्ती क्षेत्र
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1. प्याज (पटना रैड या नासिक रैड) की नर्सरी तैयार करें।
2. फूलगोभी की पछेती किस्मों की बीज वाली फसल की तैयार पनीरी का 60*45 सैं. मी. दूरी पर रोपण करें।
3. गांठगोभी की तैयार पनीरी की 30*15 सैं. मी. की दूरी पर रोपाई करें।
4. मटर (बोनबिला, लिंकन, किन्नौरी व पालम प्रिया) की बीजाई बीज उपचार करने के पश्चात् करें।
5. मूली, शलगम, गाजर, पालक, मेथी आदि सब्जियों की बीजाई करें ।
6. अरकल तथा बी.एल.-7 मटर की तुड़ाई करें।
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ऊंचे क्षेत्र
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1. टमाटर, फूलगोभी, बन्दगोभी का तुड़ान करें और मण्डियों में भेजें। |
नवम्बर
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निचले क्षेत्र
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1. उपचारित क्यारियों में टमाटर, बैंगन तथा शिमलामिर्च की पनीरी तैयार करें।
2. अदरक जमीन से निकालने के पश्चात् रोग रहित गट्ठियों का उपचार डायथेन
एम-45 (250 ग्राम) तथा बैविस्टीन (100 ग्राम) का 100 ली. पानी का मिश्रित घोल मंे 60 मिनट तक डुबो और छांव में सुखाने के पश्चात् भण्डारण करें।
3. प्याज की पनीरी लगायें।
4. अरकल,बी.एल.-7 व मटर अगेता किस्मों का बीज तैयार करने के लिए इस किस्म के बीज बुआई 30*7.5 सैं. मी. की दूरी पर करें।
5. फूलगोभी तथा बन्दगोभी की तैयार पनीरी की खेतों में रोपाई करें।
6. शलगम की बीजाई 30*10 सैं. मी. की दूरी पर करें।
7. मेथी, पालक की बीजाई 30*7.5 सैं. मी. की दूरी पर करें।
8. सितम्बर में बीजे गये अरकल, बी.एल-7 व मटर अगेता की तुड़ाई करें।
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मध्यवर्ती क्षेत्र
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1. अदरक को जमीन से निकालने के पश्चात् अनुमोदित उपचार करें।
2. मटर (लिंकन, बोनबिला व पालम प्रिया) की बीजाई 60*7.5 सैं. मी. की दूरी पर करें।
3. बैंगन की तैयार पनीरी की रोपाई 60*45 सैं. मी. की दूरी पर करें।
4. फलू गोभी तथा बन्दगाभी की अक्तबूर मे लगाई गई फसल मे यूि रया खाद की दसू री मात्रा डाले (6 कि. गा्र ./बीघा) आवश्यकता पडऩे पर सिचांई तथा गडुा़ई करे
5. अरकल, बी. एल-7 व मटर अगेता मटर की तुड़ाई करें।
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ऊंचे क्षेत्र
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1. बन्दगोभी व अन्य जड़दार फसलों को बीज उत्पादन के लिए जमीन से उखाड़ कर खातियों में रखा जाता है। |
दिसम्बर
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निचले क्षेत्र
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1. फूलगोभी तथा बन्दगोभी में यूरिया की तीसरी मात्रा डालें (5कि.ग्रा./बीघा) ।
2. गाजर तथा मूली की एशियन किस्मों की बीज वाली फसल तैयार करने के लिए चयन की हुई जड़े खेतों में 60*30 सैं. मी. की दूरी पर लगायें।
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मध्यवर्ती क्षेत्र
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1. फूलगोभी तथा बन्दगोभी में केन की दूसरी मात्रा डालें।
2. प्याज की पनीरी का रोपण 15*10 सैं. मी. की दूरी पर लगायें।
3. मूली और गाजर की बीज वाली फसल के लिए बढि़या तथा कलम की गई जड़े खेतों में लगायें।
4. अदरक को जमीन से निकालने के पश्चात् रोग रहित गट्ठियों को डायथेन एम-45 या मास एम-45 (250 ग्राम) तथा बैविस्टीन या मैविस्टीन (100 ग्राम) को 100 लीटर पानी के घोल में 60 मिनट तक डुबो कर उपचार करें और छांव में सुखाने के बाद भण्डारण करें।
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ऊंचे क्षेत्र
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1. बर्फ पड़ने की वजह से कोई कार्यक्रम नहीं होता । बीज का सही तरीके से रखरखाव करें । |