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1. भूमि और जलवायु के अनुकूल ही प्रजातियों का चुनाव करें।

2. अनुमोदित अथवा उत्तम प्रजातियों का बीज विश्वस्त स्त्रोत से प्राप्त करें।

3. बीज को बोने से पूर्व फफूंदनाशक रसायन थीरम या कैप्टान 2-3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचार करें।

4. अच्छी तरह से तैयार क्यारी में उचित गहराई पर बीज बोएं।

5. बीज को मिट्टी, रेत अथवा इसके मिश्रण या गली सड़ी गोबर की खाद से अवश्य ढक लें।

6. बीजाई के समय या रोपाई करते समय मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में नमी होनी चाहिए । बीजाई अथवा रोपाई के तुरन्त बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें।

7. खरपतवारनाशकों का प्रयोग केवल बत्तर अवस्था में तथा अनुमोदिन समयानुसार ही करें

8. कमजोर पौधें के स्थान पर स्वस्थ पौधे लगा दें।

9. रोगी और कीड़ो से ग्रसित पौधें को उखाड़ कर नष्ट कर दें।

10. पौधे का उचित समय स्टेकिंग (सहारा) दें।

11. पौधे संरक्षण हेतू विभिन्न रसायनों का समयपूर्व प्रबन्ध् करें।

12. पौध् संरक्षण उपायों को उचित समय पर ठीक विधि से अपनाएं तथा रसायनों के उपयोग के लिए आवश्यक सावधनियों को प्रयोग में लायें। कीट रसायनों का अन्धधुन्ध् प्रयोग न करें।

13. व्यापारिक स्तर पर सब्जी उत्पादन आरम्भ करने से पहले मिटी की जांच अवश्य करवायें।

14. कीटनाशी तथा फफूदनाशी रसायानों का घोल आवश्यकता होने पर बनाएं। आपस में घुलनशील रसायनों को ही मिलाएं (अनुकूलता चार्ट पृष्ठ)।

15. बोर्डो मिश्रण(4ः4ः50) बनाने के लिए 800 ग्राम नीला थोथा और 800 गा्रम चूना को पृथक-पृथक स्थान पर थोड़े से पानी में घोलने के लिए रात भर रखें। प्रातः ऊपर वाले पानी को निथार लें और घोलों को एक साथ मिलाएं तथा शेष पानी की मात्रा डालें ताकि वह 100 लीटर का घोल बन जाए।

16. रसायन के घोल को प्लास्टिक, शीशे, मिट्टी या अनेमलड बर्तन में घोले।

17. रासायन के प्रयोग के उपरान्त आवश्यक प्रतीक्षा अवधि के बाद ही तुड़ाई करें ताकि उत्पादन पर रसायन के अवशेष न रहें।

18. विभिन्न रसायनों का कम से कम प्रयोग करें तथा कार्बनिक खेती पर अध्कि ध्यान दें।

19. तुड़ाई सावधनी से उचित समय पर करें तथा इस बात का ध्यान रखें कि न तो पौधे को तथा न ही उत्पादन को हानि पहुँचे ।

20. तोड़ी गई सब्जियों को अच्छी तरह वर्गीकरण व पैकिंग करके मण्डी में भेजें।

21. उत्पादन को यथा शीघ्र मण्डी में उचित रूप में प्रस्तुत करें।

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Visitor No.: 08894453   Last Updated: 13 Jan 2016