सैलरी
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पत्तों के नर्म डंठल (पिटियोल) सूप एवं सब्जी के रूप में खाये जाते है । |
किस्में:
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अभी तक सैलरी की किस्मों पर ज्यादा प्रयोग नहीं किए गए हैं लेकिन यूटाह 52-70 (26 सप्ताह में तैयार) और गोल्डन सैल्फ बलाच किस्में (14 सप्ताह में तैयार) हमारे प्रदेश के लिए उपयुक्त पाई गई हैं । |
निवेश सामग्री:
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प्रति हैक्टैयर |
प्रति बीघा |
प्रति कनाल |
बीज (ग्रा.) |
125 |
10 |
5 |
गोबर की खाद (क्विंटल ) |
100 |
8 |
4 |
विधि -1 |
यूरिया ( किलो ग्राम) |
200 |
16 |
8 |
सुपरफास्फेट ( किलो ग्राम ) |
325 |
25 |
12 |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) |
50 |
4 |
2 |
विधि- 2 |
12.32.16 मिश्रित खाद (किलो ग्राम ) |
156 |
12.5 |
6.3 |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (किलो ग्राम) |
9 |
0.70 |
0.40 |
यूरिया ( किलो ग्राम) |
175 |
14 |
7 |
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बीजाई का समय:
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निचले क्षेत्र |
सितम्बर-अक्तूबर |
मध्य क्षेत्र |
अगस्त-सितम्बर |
ऊंचे क्षेत्र |
अप्रैल-मई |
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पहले क्यारियां बना कर इसकी पौध् तैयार की जाती है। एक हैक्टेयर के लिए लगभग 40-45 वर्ग मीटर पौध् क्षेत्रा पर्याप्त होगा। बीजाई से पहले बीजों को 24 घण्टे तक पानी में भिगोना चाहिए । क्यारियों में बीजाई 5-7 सै. मी. की दूरी पर कतारों में करें। खाद उर्वरकों का प्रयोग पालक की फसल की तरह करें। |
रोपाई:
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पौधें को नर्सरी में बीजाई के लगभग 2 महीने के बाद खेत में 60*20-30 सै. मी. के अन्तर पर लगाएं। |
ब्लॅचिंग:
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डठंलो को किसी अपारदर्शक कागज से लपेट देते है या डंठलों के ऊपर मिट्टी चढ़ा देते है । ताकि उनमें हरा पदार्थ न बनें। यह क्रिया 10-15 दिन तक पूर्ण की जाती है । |
कटाई: |
डंठल बनने पर प्रत्येक पौधे को जमीन की सतह पर काट लिया जाता है। |
उपज (किवटल) |
प्रति हैक्टेयर |
प्रति बीघा |
प्रति कनाल |
400-500 |
32-40 |
16-20 |
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बीजोत्पादन:
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क्योकिं यह द्विवर्षीय फसल है अतः इसका बीज उत्पादन केवल पहाड़ी क्षेत्रा में ही सम्भव है। |
बीज उपज (कि. ग्रा.) |
प्रति हैक्टेयर |
प्रति बीघा |
प्रति कनाल |
150-200 |
12-16 |
6-8 |
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