हिमाचल प्रदेश में उद्यानों के विकास के लिए भविष्य की रणनीति इस प्रकार से हैं: -
1. पौधों की उत्पादकता में सुधार.
2. फल उत्पादन गुणवत्ता में सुधार.
3. बागवानी उद्योग में विविधीकरण.
4. वायरस मुक्त पौधोंरोपण सामग्री हेतु नर्सरी उत्पादन का आधुनिकी कार्यक्रम .
5. विकसित देशो में विभिन्न फ़लों की सुधरी किस्मों तथा मूल वृतों का आयात
कर प्रदेश स्तर पर प्रचुर मात्रा में उत्पादन कर बागवानो को वितरित करना.
6. फल उत्पादकता को बढाने हेतु सघन फल पौध रोपण को बढावा देना.
7. कीटनाशक दवाइयों का कम प्रयोग करने हेतु बागवानो को जैविक विधि द्वारा
कीटों व् फलों की बिमारियों को नियंत्रण में लेन हेतु प्रोत्साहित करना .
8. बागवानों को तकनीकी ज्ञान व् फलों के विपणन सम्बन्धी सुचना देने हेतु आधुनिक सुचना तकनीक का प्रयोग करना .
9. वैज्ञानिक विधि द्वारा पानी का दोहन संग्रहण, जल प्रबंधन में सुधार लाना .
10. फल उत्पादकता बढाने हेतु उच्च उद्यान तकनीकों जैसे कि : संरक्षित
खेती, जैव प्रौद्योगिकी तथा , सूक्ष्म सिंचाई और प्लास्टिक इत्यादि को
बढ़ावा देना.
11. फल फसलोत्तर प्रबंधन हेतु वैज्ञानिक आधारभूत संरचना का निर्माण .
12. फल उत्पादन की गुणवता को बढ़ाना .
13 ब्रांड, विज्ञापन और निर्यात द्वारा फलों के बाज़ार को बढ़ावा देना .
उद्यान विकास को एक उद्योग के रूप में विकसित करने के लिए निम्न तीन उद्देश्य है :
1. आर्थिक विकास
2. पोषाहार सुरक्षा
3. पर्यावरण संरक्षण
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