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फूलों की खेती का विकास: -
हिमाचल प्रदेश भारत के उतरी अक्षांश 300 22 '40 "एन से 330 12' 20"
और पश्चिमी देशांतर में 750 45 '55 "ई से 790 04' 20" एन के
मध्य भाग में स्थित है| हिमाचल प्रदेश में प्रति व्यक्ति खेती योग्य भूमि
केवल 0.12 हेक्टेयर है, जबकि प्रति व्यक्ति सिंचित भूमि सिर्फ 0.02
हेक्टेयर है| ऐसी स्थिति में
उन्नत फसल पद्धति को अपनाना आवश्यक है जिससे प्रति क्षेत्र / श्रम/
निवेश की उच्चतम आय सुनिश्चित हो जाए| वाणिज्यिक फूलों की खेती इस
आवश्यकता को पूरी
तरह से पूरा करती है| हिमाचल प्रदेश की कृषि-जलवायु फूलों की खेती के
विकास के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करती हैं जो कि मौजूदा दोनों
परिस्थितियों ऑफ-सीजन
और निर्यात के लिए उपयुक्त है| एक बड़ी किस्म के रूप में फूलों की खेती
करने वाले उत्पाद ( कट फ्लावर, बल्ब, बीज, जीवित पौधे, आदि) का प्रयोग
आर्थिक नकदी फसलों
के रूप में किया जा सकता है| हालांकि राज्य में विभिन्न कृषि जलवायु वाले
क्षेत्रों से फूलों को पूरे वर्ष घरेलू बाजार तक ही उपलब्ध करवाया जाता
है परन्तु निर्यात के
लिए अच्छे फूलो का उत्पादन करने के लिए फूलो को नियमित वातावरण में अर्थात
ग्रीनहाउस में तैयार किया जाता है|
जिलेवार पुष्पोत्पादन के अंतर्गत क्षेत्र
फूलों की खेती के लिए वार्षिक कार्य अनुसूची
विभागीय फूल नर्सरी में उपलब्ध संयंत्र सामग्री और मॉडल फूलों की खेती केंद्र
हिमाचल प्रदेश में वाणिज्यिक फूलों की खेती
फूलों की खेती के लिए कृषि जलवायु क्षेत्र
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क्षेत्र वर्णन |
ऊंचाई की सीमा (एम एस एल मीटर) |
वर्षा (सेमी) |
उपयुक्त फूलों की फसलें |
निम्न पहाड़ी और मैदानी इलाकों के पास घाटी क्षेत्र |
350 – 900 |
60 - 100 |
ग्लेडियोलस, कार्नेशन, लिलियम, गेंदा, गुलदाउदी, गुलाब |
मध्य पहाडी क्षेत्र (उप शीतोष्ण) |
900 – 1500 |
90 – 100 |
कार्नेशन, ग्लेडियोलस, लिलियम, गेंदा, गुलदाउदी, अल्सटरोमीरिया, गुलाब |
अंदरूनी ऊंचे पहाड़ों और घाटियों में तापमान |
1500 – 2750 |
90 - 100 |
ग्लेडियोलस, कार्नेशन, लिलियम, गेंदा, गुलदाउदी |
ठंडे और शुष्क क्षेत्र (शुष्क शीतोष्ण) |
2750 – 3650 |
24 - 40 |
बीज / कोरम / बल्ब का उत्पादन |
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व्यावसायिक फूलों की खेती
ग्लेडियोलस
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गेंदा
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कार्नेशन
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गुलदाउदी
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गुलाब
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लिलियम
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संभावित फूलों की खेती
अल्सटरोमेरिया  |
लिमनियम  |
जनटेदेस्चिया  |
लरिस  |
स्ट्रीलीतजिया  |
तुलिप्स
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ग्र्बेरस  |
ऑर्चिड |
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पुष्पकृषि करने के लाभ: -
- हिमाचल प्रदेश राज्य में कृषि जलवायु विद्यमान परिस्थितियों के
अनुसार फूलों की खेती के विकास के लिए अनुकूल है| जिससे फूलों को ऑफ सीजन
में घरेलू
बाजार में और निर्यात के लिए भेजा जा सकता है|
- फूलों की खेती करने वाले उत्पाद( कट फ्लावर, बल्ब, बीज, जीवित पौधें, आदि) का उत्पादन एक बड़ी किस्म के रूप में किया जा सकता है.
- प्राकृतिक कृषि जलवायु फूलों और पौध सामग्री के उत्पादन के लिए
उपयुक्त है जिससे की ग्रीनहाउस में महंगी हीटिंग और कुलिंग प्रणाली का
प्रयोग करने की
कोई आवश्यकता नहीं हैं|
- ग्रीनहाउसों को चलाने के लिए आवश्यक बिजली पर राज्य सरकार के द्वारा राज्य में घरेलू दरों पर शुल्क लिया जाता है|
- हालांकि राज्य में विभिन्न कृषि जलवायु वाले क्षेत्रों से
फूलों को पुरे वर्ष घरेलू बाजार में उपलब्ध करवाया जाता है और साथ ही
निर्यात के लिए अच्छे फूलो
का उत्पादन करने के लिए फूलो को नियमित वातावरण में अर्थात ग्रीनहाउस में
ही तैयार किया जाता है|
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फूलों की फसल को बोने और कटाई के लिए पुष्प कृषि वाले क्षेत्रों में मौसम की स्थिति
ग्लेडियोलस
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कृषि जलवायु क्षेत्र
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रोपण का समय
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फूलों के खिलने का समय |
निचली पहाड़ियां
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जुलाई – अगस्त
सितंबर- अक्टूबर
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नवम्बर - मार्च |
मध्य पहाड़ियां
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फ़रवरी – मार्च,
मई |
मई - अक्टूबर |
ऊंची पहाड़ियां |
अप्रैल - मई
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जुलाई-नवंबर |
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गेंदा
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कृषि जलवायु
क्षेत्र |
रोपण का समय
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फूलों के खिलने का
समय |
निचली पहाड़ियां
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सितम्बर - अक्टूबर |
मार्च - अप्रैल |
मध्य पहाड़ियां |
जनवरी-फ़रवरी |
जून-जुलाई |
ऊंची पहाड़ियां |
मई - जून |
अक्टूबर - मध्य
दिसम्बर |
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गहरे लाल रंग (कार्नेशन) के फूल
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कृषि जलवायु क्षेत्र |
रोपण का समय
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फूलों के खिलने का समय |
निचली पहाड़ियां |
सितम्बर-नवम्बर |
फ़रवरी - मार्च |
मध्य पहाड़ियां |
जनवरी-फ़रवरी |
अप्रैल - जून |
ऊंची पहाड़ियां |
मार्च - अप्रैल
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जुलाई - अक्टूबर |
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ऑरियंटल एवं एशियाई लिलियम
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कृषि जलवायु क्षेत्र
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रोपण का समय
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फूलों के खिलने का समय |
निचली पहाड़ियां
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दिसंबर.-मार्च.
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दिसंबर.-मार्च.
मार्च - जून |
मध्य पहाड़ियां |
मार्च-अप्रैल
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जून - जुलाई |
ऊंची पहाड़ियां |
अप्रैल-मई
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जुलाई-अगस्त |
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बागवानी विभाग के द्वारा उपलब्ध की गई सेवाएं
आधारभूत समर्थन
फ्लोरीकल्चर नर्सरी:
बागवानी विभाग ने विभिन्न जिलों में सात फ्लोरीकल्चर नर्सरीयां नौबहार
और छराबरा शिमला जिले में, महोग बाग और परवानू सोलन जिले में, बाजुरा
कुल्लू
जिले में भटून और धर्मशाला और कांगड़ा जिला में स्थापना की है
आदर्श पुष्पोत्पादन केंद्र:
महोग बाग (चायल) जिला सोलन में "मॉडल फ्लोरीकल्चर केंद्र" और एक टिशू
कल्चर लैबोरेट्री स्थापित की गई है| जिसका उदेश्य महत्वपूर्ण फूलों की
फसलों का
व्यावसायिक रूप से उत्पादन करना और साथ ही रोपण सामग्री की भी व्यवस्था
करना है| "आदर्श पुष्पोत्पादन केंद्र का मौजुदा बुनियादी ढांचा 1706.5
क्षेत्र वर्ग मीटर में
ग्रीनहाउस फैला हुआ है और एक हैंडलिंग यूनिट जो फसलों की पोस्ट
हार्वेस्ट के लिए है| साथ ही 3 कूल चैम्बर्स जो फसलों की रोपण
सामग्री और भंडारण के
लिए बनाये गए है| इस भवन में टिशू कल्चर लैबोरेट्री, प्रशिक्षण हॉल, और
कुछ अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी सुविधाओं भी होगी और जिसकी अनुमानित
निर्माण की
लागत रुपए 94.22 लाख है और जिसका निर्णय बागवानी विभाग द्वारा जुलाई 2004
में लिया गया .
फसल की कटाई के बाद बुनियादी ढांचा
जिला ग्रामीण विकास एजेंसी द्वारा फूलों की खेती की कटाई के बाद उसके
प्रबंधन के लिए बिलासपुर, मंडी और कांगड़ा जिलों में संग्रह, ग्रेडिंग और
पैकिंग हाउस और
ठंडे चैम्बर सुविधाओं की स्थापना की गई है|
अनुसंधान एवं विकास:
निम्नलिखित संगठनों के द्वारा आवश्यक फूलों की खेती वाले क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास की सेवाएं प्रदान करते हैं:-
- डॉ. वाई.एस. परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय सोलन में
स्थित है, नौनी विश्वविद्यालय में पुष्पोत्पादन और भूनिर्माण विभाग का एक
अलग मुख्यालय है.
राज्य के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में स्थित के क्षेत्रीय अनुसंधान
केंद्र में विश्वविद्यालय स्थान विशिष्ट शोध पर कार्य किया जा रहा है|
- हिमालय जैव संसाधन प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर, जिला कांगड़ा में स्थित है|
- आई सी ए आर अनुसंधान केन्द्र कटरैन, जिला कुल्लू हिमाचल प्रदेश में स्थित है|
- नेशनल ब्यूरो प्लांट जेनेटिक संसाधन, फागली, शिमला, हिमाचल प्रदेश
तकनीकी सहायता:
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फूलों की खेती का प्रशिक्षण
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परामर्श सेवा:
पुष्प उत्पादक को फूलों की फसलों की खेती के पूर्व और कटाई के उपरांत तकनीकी अभ्यास और उद्यमियों को मुफ्त तकनीकी सलाह दी जाती है|
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फूलों की खेती के लिए साहित्य:
इन किताबो में फूलों की खेती से सम्बंधित तकनीकी जानकारी और साथ मुक्त लागत पर इन फसलों की आपूर्ति कर रहे हैं.
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संगठन के द्वारा पुष्प प्रदॅशन::
विभाग के द्वारा संगठन को फूलों की खेती करने के लिए स्थानीय और बाहरी क्षेत्रों जागरूकता पैदा करने के
लिए सहायता प्रदान करता है|
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पुष्प उत्पादकों की सहकारी समितियों का गठन:
उद्यान विभाग के द्वारा पुष्प उत्पादकों की सहकारी समितियों के गठन के लिए भी सहायता
प्रदान की जाती है|.
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दूसरे संगठनो से सहायता:
फूलो को कटाई के उपरांत उनके
प्रबंधन के लिए विभाग द्वारा पुष्प उत्पादक की सहकारी समितियां और गैर -
सरकारी संगठनों को सहायता दी जाती है | राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, एपेडा और
नाबार्ड जैसे कुछ संगठन इस क्षेत्र में सहायता प्रदान करने के लिए स्थापित
किये गए
है|
अनुसंधान एवं विकास:
- डॉ. वाई.एस. परमार उद्यान एवं वानिकी विश्वविद्यालय सोलन में स्थित
है, नौनी विश्वविद्यालय में पुष्पोत्पादन और भूनिर्माण विभाग का एक अलग
मुख्यालय है.
राज्य के विभिन्न कृषि जलवायु वाले क्षेत्रों में स्थित क्षेत्रीय
अनुसंधान केंद्र में विश्वविद्यालय स्थान विशिष्ट शोध पर कार्य किया जा
रहा है|
- हिमालय जैव संसाधन प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर, जिला कांगड़ा में स्थित है|
- आई सी ए आर अनुसंधान केन्द्र कटरैन, जिला कुल्लू हिमाचल प्रदेश में स्थित है|
- नेशनल ब्यूरो प्लांट जेनेटिक संसाधन, फागली, शिमला, हिमाचल प्रदेश|
फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए कुछ शुरूवाती कदम: -
- . मीडिया और अन्य एजेंसियों के माध्यम से फूलों की खेती उत्पादों
के उपयोग के बारे में सार्वजनिक जागरूकता पैदा करना और साथ ही उपभोक्ता
प्रदर्शनियों
के माध्यम से उत्पादों का प्रचार करना|
- . महानगरों में फूलो की मांग सबसे ज्यादा होती है इसलिए फूलो के
प्रापण के लिए फूलवाली दुकानों के बजाए बड़े बाजारों में ले जाने के लिए
प्रोत्साहित करना|
- . फूलो की फसल कटाई के बाद दिल्ली बाजार में विशेष रूप से घरेलू
टर्मिनल बाजार में विपणन की जरूरत के लिए के बुनियादी ढांचे का आयोजन|
- .उत्पादकों एवं वैज्ञानिक संस्थाओं के बीच आपस में प्रभावी बातचीत के कारण भूमि मे तकनीकी बदलाव को बढ़ावा|
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