HomeAbout UsJob Profile BudgetActivitiesAchievementsGallerySitemapG2G LoginMain     हिंदी में देंखे    
  To avail doorstep emergency free veterinary services through manned Mobile Veterinary Ambulance, contact 1962 (Toll Free).    
Main Menu
Organisational Setup
General Information
Institution Details
Departmental Farms
Right to Information (RTI)
Staff Position
Telephone Directory
Grievance Cell
Recruitment & Promotion Rules
Tender Notice
H. P. State Veterinary Council
H.P. Para- Veterinary Council
State Animal Welfare Board
Other Important links
Departmental Logo
H.P. Gauseva Aayog
Apply for Subsidy Schemes
Lumpy Skin Disease
Contact Us
अध्याय-8



पशु प्रजनन की क्रिया तथा इसमें न्यासर्गों (हार्मोन्स) की भूमिका


        मादा पशुओं में मद चक्र एक अत्यन्त जटिल क्रिया है जिसमें अनेक हार्मोन्स कार्य करते हैं| मस्तिष्क के निचले हिस्से से जुडी एक अंत: स्रावी ग्रन्थि जिसे पीउष अथवा पिट्यूटरी ग्रंथि कहते हैं, पशु प्रजनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है| प्रत्येक अंडाशय में जन्म से ही हजारों की संख्या में अपरिपक्क अवस्था में अंडाणु होते हैं| पशु के युवावस्था में आने के बाद पिट्यूटरी ग्रन्थि के अगले भाग से गोनेडोट्रोफिन्स (एफ.एस.एच.एवं.एल.एच.)हार्मोन्स का स्राव होता है जिनके प्रभाव से अंडाशय में अनेक अंडाणुओं की वृद्धि व उनके परपक्कीकरण का कार्य शुरू हो जाता है| इनमें से केवल एक अंडाणु सामान्य रूप से हर 20-21 दिन के बाद ग्रफियन फोलिकल के अन्दर परिपक्क होकर मदकल की समाप्ति के लगभग 10 घण्टे के बाद अंडाशय से बाहर निकल कर डिम्बवाहनियों में प्रवेश करता हैं| यदि इसका इस स्थान पर निषेचन (शुक्राणु से मिलकर भ्रूण में परिवर्तन) नहीं होता, तो ये अंडाणुयहीं नष्ट हो जाता हैं तथा अंडाशय में दूसरा अंडाणु परिपक्क/विकसित होने लगता हैं|यह चक्र तब तक चलता रहता है जब तक की पशु गर्भधारण नहीं कर लेता| इस चक्र को ही मद चक्र कहते हैं|

        मद काल में अंडाशय में ग्रफियन फोलिकल जिसमें कि अंडाणु का परीपक्कीकरण होता है, एक हारमोन जिसे ईस्ट्रोजन कहते हैं, निकलता है तथा यही नहीं हार्मोन्स पशु में गर्मी के लक्षण उत्पन्न करता है| ग्रफियन फोलिकल पशु के मदकल की समाप्ति के कुछ समय बाद फट जाता हैं तथा इस स्थान पर एक अन्य रचना जिसे कोरंपस ल्युटियम (सी.एल) कहते हैं, विकसित होने लगती है| कोरंपस ल्युटियम से एक अन्य हारमोन जिसे प्रोजेस्टरोन कहते हैं जोकि गर्भाशय को भ्रूण के विकास के लिये तैयार करता हैं तथा ये पशु को गर्मीं में आने से भी रिक्त हैं| अत: कोरपस ल्युटियम की गर्भ धारण के पश्चात सफल गर्भवस्था के लिए नितान्त आवश्यकता है|

        यदि पशु का गर्भकाल में गर्भधान नहीं कराया गया हैं अथवा गर्भधान करने के बाद किसी कारण वश अंडाणु का निषेचन नहीं हो पाया तो मदकाल के लगभग 16वें दिन गर्भाशय से एक विशेष हारमोन जिसे पी.जी.एफ2 अल्फ़ा कहते हैं निकलता है जो अंडाशय में विकसित हुई कोर्पस ल्युटियम को घोल देता हैं| फलस्वरूप प्रोजेस्ट्रोन हारमोन का बनाना बन्द हो जाता हैं तथा अन्य अंडाणु का परीपक्कीकरण शुरू हो जाता हैं और कुछ समय बाद पशु पुन: गर्मी में आ जाता हैं|

        यदि मदकाल में पशु का गर्भधान कराया गया है तथा अंडाणु का सफलता पूर्वक निषेचन हो गया है तो 5वें दिन निषेचित हो रहे भ्रूण से एक विशेष प्रकार का पदार्थ उत्पन्न होता है जिसके प्रभाव से गर्भाशय में आ जाता है| विकसित हो रहे भ्रूण से एक विशेष प्रकार का पदार्थ उत्पन्न होता हैं जिसके प्रभाव से गर्भाशय में पी.जी.एफ-2 अल्फ़ा नहीं बनाता और इस प्रकार पशु का मद चक्र टूट जाता हैं तथा वह गर्भवस्था में आजाता है| गर्भवस्था पूर्ण होने पर गर्भ के अन्दर पल रहे बच्चे के शरीर, माँ के शरीर तथा बच्चे से जुड़े प्लेसेंटा से कुछ हार्मोन्स निकलना आरंभ हो जाते हैं जिनके प्रभाव से सी.एल. समाप्त हो जाती है और पशु प्रसव की अवस्था में आकर बच्चे को जन्म डे देता हैं| गर्भाशय के सामान्य अवस्था में आने पर पशु में मद चक्र पुन: आरंभ हो जाता है|

        मद के स्पष्ट लक्षणों के लिये ईस्ट्रोजन के साथ-साथ कम मात्रा में प्रोजेस्ट्रोन हारमोन जोकि पिछले मद चक्र के समाप्त हो रहे सी.एल. से उत्पन्न होता है, भी आश्यक है| इसी कारण प्रथम बार बछडियों के मद में आने पर तथा प्रसव के बाद पर उनमें स्पष्ट मद के लक्षण नहीं दिखते|
Main|Equipment Details|Guidelines & Publications|Downloads and Forms|Programmes and Schemes|Success Stories|Policies|Training |Diseases
Visitor No.: 11445512   Last Updated: 06 May 2023