HomeAbout UsJob Profile BudgetActivitiesAchievementsGallerySitemapG2G LoginMain     हिंदी में देंखे    
  To avail doorstep emergency free veterinary services through manned Mobile Veterinary Ambulance, contact 1962 (Toll Free).    
Main Menu
Organisational Setup
General Information
Institution Details
Departmental Farms
Right to Information (RTI)
Staff Position
Telephone Directory
Grievance Cell
Recruitment & Promotion Rules
Tender Notice
H. P. State Veterinary Council
H.P. Para- Veterinary Council
State Animal Welfare Board
Other Important links
Departmental Logo
H.P. Gauseva Aayog
Apply for Subsidy Schemes
Lumpy Skin Disease
Contact Us
अध्याय-6


मादा दुधारू पशुपन के जननांगों की रचना तथा कार्य


पशु पालन में दुधारू पशुओं के उत्पादन कार्य का सीधा सम्बन्ध उनके प्रजनन से हैं| उचित प्रजनन के बिना उनसे समुचित उत्पादन लेना संभव नहीं हैं| प्रजनन सम्बन्धीसमस्याओं के समाधान तथा उचित प्रबन्धन के लिए पशुओं के प्रजनन अंगों की रचना तथा उनके कार्यों का ग्यान्होना अत्यन्त आवश्यक है| मादा दुधारू पशुओं (गाय/भैंसों) के जननांगों में निम्नलिखित भाग सम्मिलित होते हैं|
(1)अंडाशय (2)डिम्बवाहनियाँ (3)गर्भाशय (4)योनी तथा (5)भग (योनि द्वार)| 

अंडाशय:


मादा पशुओं में अंडाशय संख्या में दो होते हैं तथा ये उदर गुहा के पिछले हिस्से में स्थित होते हैं| अंडाशय का मुख्य कार्य परिपक अंडे तैयार करना है| इसके अतिरिक्त ये अत:स्रावी ग्रंथि का कार्य भी करते हैं जिसमें ये कुछ विशेष प्रकार के रस जिन्हें हार्मोन्स कहते हैं, भी बनाते हैं| ये हार्मोन्स पशुओं को मद चक्र में लाने तथा गर्भ धारण के बाद उनकी गर्भवस्था को बनाए रखने में महत्वपूर्ण न्हुमिका निभाता है|

डिम्बवाहनियाँ:


ये पतली व टेढ़ी-मेढ़ी दो नलिकायें प्रत्येक अंडाशय में समीप से प्रारम्भ होकर गर्भाशय के अगले भाग में जाकर खुलती हैं| अंडाशय के ऊपर ये वहनियाँ एक कीप की शक्ल में सटी रहती हैं ताकि अंडाशय से निकले अंड को ये ठीक प्रकार से ग्रहण कर सकें| अंडे का निषेचनअर्थात शुक्राणु से मिलकर भ्रूण का निर्माण इन्हीं नलिकाओं में होता है|

गर्भाशय:


गाय व भेंसों में गर्भाशय द्विसिंगा होता है अर्थात यह दो भागों में बंटा होता है| ये दोनों भाग आगे डिम्बवाहनियों से जुड़े होते हैं| पीछे जिस स्थल पर ये दोनों भाग मिलते हैं उसे गर्भाशय कई बाडी कहते हैं|भ्रूण का पूर्ण विकास गर्भाशय के अन्दर ही होता है तथा जन्म होने तक गर्भाशय के माध्यम से ही इसका पोषण होता है|गर्भाशय के पिछले हिस्से को गर्भाशय ग्रीवा कहते हैं|पशु के गर्भवस्था में होने पर गर्भाशय ग्रीवा बंद हो जाती है तथा मदकाल एवं प्रसव की अवस्था में यह खुल जाती है|

योनि:


गर्भाशय ग्रीवा से आरंभ होकर मूत्र-प्रजनन साइनस तक फैला यह एक लम्बा, लचीला तथा नलिकाकार अंग मादा पशुओं में मैथुन कार्य में प्रयोग होता है| गर्भवस्था पूर्ण होने पर प्रसव के समय बच्चे का जन्म भी अंग के इसी माध्यम से होता है|

भग (योनि द्वार):


यह प्रजनन नली का बाहरी निकास है जोकी मल द्वार के ठीक नीचे स्थित होता है| यह लम्बवत रूप में स्थित दो माँसल भागों,जोकिप्रजनन नली को बाहर से बंद रखने के लिए कपाट की तरह कार्य करते हैं,से मिलकर बनता है|

Main|Equipment Details|Guidelines & Publications|Downloads and Forms|Programmes and Schemes|Success Stories|Policies|Training |Diseases
Visitor No.: 11455024   Last Updated: 06 May 2023